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रश्मि को अपनी कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि जिस परिवार के लिए वो इतना कुछ करती है। वही परिवार उसके जन्मदिन को लेकर ऐसी सोच रखता है।
पैसा होने की वजह से समाज में रूतबा भी ससुराल वालों का बहुत था, लेकिन दरवाजे पर लगे महंगे पर्दे के पीछे की सच्चाई बिलकुल ही उलट थी।
"वाह, क्या बात है मेरे जन्मदिन पर मेरे पैसों से खरीदकर मुझे ही उपहार दिया जाएगा। और एहसान भी कि बचत पर मेरा अधिकार है", रमन ने कहा।
आपने मेरे आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान को झकझोर कर रख दिया कि आखिर क्यों सह रही हूं मैं? और फिर रश्मि की बातों ने मुझे मजबूत बना दिया।
शादी में कहीं किसी ने गहने चुरा लिये या गुम हो गए तो तुम्हारे घर वालों की भी उतनी हैसियत नहीं जो वापिस वैसे ही गहने दे सकें।
कोई कम उम्र की लड़की, बिन ब्याही, या फिर उम्र के 50 वे पायदान पार कर चुकी औरत रेड लिपस्टिक लगाए तो लोग तरह तरह की बातें करते हैं...
क्या पता कल को बेटी का पति या ससुराल वाले कैसे मिलें? तुझे अपनी बेटी का रोना दिख गया लेकिन दूसरी बेटी के रोने पर आंखे मूंद ली?
आज रात अनिकेत ने जैसे ही कहा, "तुम अब बूढ़ी हो चुकी हो, अब तुम में पहले वाली बात नहीं", शर्मसार रमा अंदर ही अंदर टूट गयी।
सही कह रहे हो। गलती मेरी है और मैं ही सुधार करूँगी। क्योंकि उसने वही कहा और किया जो उसने अभी तक देखा और महसूस किया।
पूरे नौ महीने नेहा से घर के सारे काम कराए गए। ये कहकर की घर के काम करने से सामान्य डिलीवरी होगी वरना आपरेशन करना होगा।
बहु जो होना था हो गया। ये सब तो भगवान की मर्जी होती है। लगता है कि समधन जी के कर्मों की कमाई अच्छी नहीं थी जो पति और बेटा दोनो चले गए।
तेरा दर्द मैं समझ सकती हूं लेकिन तुझे ही गाली देंगे। तेरे ही चरित्र पर उंगलियां उठाई जायेंगी। तू ये केस वापिस ले ले वरना...
हर रोज नमन ऑफिस जाने से पहले कितनी क्या व्यंजन बनेंगे, नमिता को बता के जाते। इतना ख्याल रखने वाला पति पाकर नमिता बहुत ख़ुश थी।
रवि मुझे समझ नहीं आ रहा कि सब काम का इतना टेंशन क्यों ले रहे हैं? जबकि मिठाई से लेकर सजावट के समान तक सब कुछ बाजार में मिल जाते हैं।
उनके जाने के बाद निशा ने कहा, "माँ क्या जरूरत थी उनको मिठाई और चांदी के सिक्के देने की? वो कौन सा उपहार लेकर आये थे।"
अरे! बहु तुम्हे क्या पता सास क्या होती है। वो तो तुम्हारी किस्मत अच्छी है जो मुझ जैसी सीधी सास मिली वरना तो लोग बहु के...
माँ सच कहती थी कि मायका सिर्फ माँ से नहीं होता। रिश्ते को अगर प्यार से निभाया जाए तो भाई भाभी से भी मायका होता है।
अब बस हमे अपनी बेटियों को इतना मजबूत बनाना चाहिए कि ऐसे लोगों का डट के सामना कर सके और निसंकोच अपने परिवार को बता सके...
मामा और दादी का जन्मदिन तो एक ही तारीख और महीने में पड़ता है। और हम यहाँ आ जाते है, दादी का जन्मदिन नहीं मनाते।
इन बातों का असर कहीं ना कहीं सरिता के दिमाग पर भी था। शादी कर के ससुराल आयी, तो अंकिता को देखते उसकी हँसी ही गायब हो जाती।
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