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प्रज्ञा सिन्हा की बेहद खूबसूरत 25 कविताओं की एन्थोलॉजी 'मैं कभी कश्मीर नहीं गई' के बारे में आज हम उन से इस इंटरव्यू में बात कर रहे हैं!
जसविंदर संघेरा कहती हैं कि बाहर बसे ये लोग ज़्यादातर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के थे, और ये नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे अपनी मर्ज़ी से शादी करें।
अमृता प्रीतम की कविताएं कहती हैं कि उन्होंने कभी भी समाज के बंधनों को नहीं माना, समाज के दकियानूसी उसूलों पर सवाल उठाने में अमृता कभी पीछे नहीं रहीं।
भारत हिंदी साहित्य के इतिहास का एक सुनहरा युग थीं मशहूर लेखिका शिवानी, इस आम भारतीय स्त्री की कलम से लिखी गई कहानी हर एक को अपनी सी लगती है।
हाँ! वह चेहरा कोई और नहीं लेखिका कृष्णा सोबती जी थीं, जिनका उपन्यास मैं कुछ देर पहले पढ़ रहा था, और अब उनके सामने बैठा हुआ था।
रवींद्रनाथ टैगोर के उपन्यास और कहानियां, दोनों ने लोगों को महिलाओं की मुक्ति और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए सूक्ष्मता से प्रयास किया।
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