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बहू, अब तुम हमारी ज़िंदगी का हिस्सा हो…

"तुम कब और कैसे हमारे घर आईं, हमसे जुड़ी और कब हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन गईं, ना हमें इसका एहसास रहा ना तुमने कभी एहसास दिलाया।"

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बहू, तुम्हारे जन्मदिन पर हम सब तुम्हारे हाथ का बना ही खाएंगे…

आखिर समर और आंचल की तो हालत ही खराब हो गई। जब सभी बहनें विदा हो गई तब जाकर समर और आंचल की जान में जान आई।

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माँजी, आपकी बहू की भी कुछ उम्मीदें हैं अपने ससुराल वालों से…

"ये क्या बहु? इतनी बड़ी घटना हो गई मेरे मायके में तुमने ना इतने दिन मुझे फ़ोन ही कर हाल चाल पूछा और ना मेरे वापस आने पे कुछ समाचार पूछा?"

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किराये का है तो क्या? घर तो घर है!

जेठानी की बातें सुन नैना की ऑंखें भर आयीं। राजीव से जब नैना की नज़र मिली तो राजीव खुद अपराधबोध से भर उठे।

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समधन जी, प्यार से दिया गया कोई भी उपहार छोटा या बड़ा नहीं होता…

सौम्या को जैसे ही पता चला कि उसके मम्मी-पापा आये हैं। वो दौड़कर उनके पास आयी। अपने पापा को सामने देख वो उनके गले लग गयी।

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अब तो भगवान ही बचाए ऐसे रिश्तों से…

इस बार सासु मां ने फ़रमान जारी किया, "नीति, मीना के लिए तुम अपना वाला कमरा दे देना। तुम दो चार दिन मेहमानों वाले कमरे में एडजस्ट कर जाना।" 

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