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एक कोशिश अपने विचारों को पंख देने की...... !
दो हफ्ते बाद मुरझायी माया घर आई पर अब ये घर वो नहीं था। अब सब बदल गए थे। कल जो पलकों पे थी आज आँखों को चुभ रही थी।
आलोक को भी अच्छा खाने का शौक था, वह निशा से रोज़ नई सब्ज़ी बनवा कर खाता, इन सब चक्करों में निशा को समय ही नहीं मिलता...
वाह बेटा वाह! बड़ी जल्दी बीवी का चेहरा पढ़ना सीख गया? जा अब जा कर मना उसे, खाना बना खिला, रसोई में रखे बर्तन धो...जोरू का गुलाम!
हिंदी टीवी सीरियल अपनी कहानी औरतों को आदर्श रूप में दिखाने से शुरू करते हैं लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है ये सीरियल कुछ और करते हैं।
करवटें बदलता अतुल भी यही सोच रहा था कि अगर लिस्ट ना होती तो शायद दो अंगूठी और एक झुमका गायब है, ये पता भी ना चलता।
याद है एक दिन भाभी ने अपने पसंद की सब्ज़ी बना दी थी और आपने उस दिन खाना नहीं खाया। भाभी के माफ़ी मांगने के बाद आपने खाना खाया।
मालती बहुत ध्यान रखती अपने ससुरजी का, लेकिन उनका अकेलापन वो कैसे बांटती? हमेशा ही एक झिझक सी रहती थी दोनों ओर...
दो दिन से थोड़ी हरारत भी थी रूचि को। जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो रसोई में गई चुपके एक कटोरी में थोड़े दाल चावल लिये।
तुम तब आयीं मेरे जीवन में जब कोई उम्मीद नहीं थी माँ बनने की। बस एक दिन एक आहट हुई और और मेरी ज़िंदगी में खुशियाँ बन तुम आ गईं।
ऋतू बहु अपने गहने तो निकालो सारे के सारे। रेखा देख के पसंद कर लेगी उसे क्या क्या लेने हैं। क्या फ़र्क पड़ेगा भाभी की अलमारी में है या नन्द के?
शोएब इस वीडियो में अपनी पत्नी दीपिका के लिए खाना पकाते हुए मैसेज देते हैं, "आप अपने घर की महिलाओं को पीरियड्स के दिनों में समझें..."
केबिन में बैठी डॉक्टर बहुत गंभीर लग रही थी। रवि और उसकी माँ को कुर्सी पर बैठने को बोल वो किसी से फ़ोन पर बात करने लगी।
वागले की दुनिया में वागले का किरदार निभाने वाले अंजन श्रीवास्तव उसी तरह मशहूर हुए जैसे अरुण गोविल 'राम', नीतीश भारद्वाज 'कृष्ण' के रूप में हुए...
पहली रात ही सुहागसेज पर अपने पति का इंतजार करती अंकिता का शराब के नशे में डूबे लडख़ड़ाते अपने पति राहुल से पहला परिचय हुआ।
पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित रजनी बेक्टर ने अपने घर से ही बिस्किट बनाने का सफर शुरू किया, जो आज क्रीमिका ग्रुप के नाम से मशहूर है।
मैं आपके वक़्त के लिए तरसती रही। जानती थी, आप हमारे परिवार के लिए ही मेहनत कर रहे हैं, फिर भी बहुत से ऐसे पल आये जब आपको मिस किया...
जब रूचि का पेट नहीं भरता तो मुन्ने का कैसे भरता? भूखा बच्चा रात दिन रोता और सास कहती कैसा रोंदू बच्चा है बिलकुल अपनी माँ पर गया है।
ये तस्वीरें देख निष्ठा को दो महीने पहले की बात याद आ गई जब वो हनीमून से वापस आयी थी तब सासूमाँ ने कैसा बखेड़ा शुरू किया था।
बॉलीवुड में पहले जहां शादी और बच्चों को एक एक्ट्रेस के करियर का अंत मान लिया जाता था, क्या अब शादी के बाद की बदल रही है तस्वीर?
फॉर्म पढ़ते ही आँखों में एक अजीब सी चमक आ गई। उषा जी ने मुस्कुरा कर अपने पति को देखा, "आपको याद रहा इतने सालों बाद भी?"
भाभी ने मज़ाक-मज़ाक में आभा के गरीबी का मज़ाक उड़ा दिया, "क्या आभा इतनी क्या प्यारी है ये साड़ी तुम्हें जो हर फंक्शन में इसे ही पहन लेती हो?"
रेणुका शहाणे की इस फ़िल्म त्रिभंग की कहानी में तीनों स्त्रियों का दर्द टूटता नहीं बल्कि एक से दूसरे के पास खूबसूरती से पहुँच जाता है।
मेरा सत-सत नमन है धनिष्ठा और उसके महान माता-पिता को जिन्होंने अपनी 20 महीने की बच्ची के अंगदान कर उसे सबसे कम उम्र की कैडेवर डोनर बना दिया।
परिवार में सुख और शांति किसे अच्छी नहीं लगती। लेकिन राधेश्याम जी के घर से जैसे सुख शांति रूठ ही गई थी। रोज़-रोज़ के तनाव और कलेश से तंग आ राधेश्याम जी ने अंत में ना चाहते हुए भी अपने दोनों बेटों के बीच बँटवारा कर ही दिया। राधेश्याम जी के दो बेटे थे बड़ा […]
बस अनु मुझसे तो ये सब कह दिया लेकिन ख़बरदार जो प्रिया के सामने ये सब कहा तो। मैं तुम्हारी माँ हूँ, तो प्रिया की सास भी हूँ...
दीपिका और करीना के स्टाइलिस्ट और मशहूर बॉलीवुड डिज़ाइनर सायशा शिंदे ने एक इमोशनल नोट में अपने ट्रांस वुमेन होने की बात सबके साथ साझा की।
अनुष्का शर्मा का मैटरनिटी फोटोशूट एक मैसेज है हमारे इस समाज को जो आधुनिक होने का ढोंग तो करता है लेकिन आधुनिकता अपनी सोच में नहीं लाता।
न्यूड तस्वीर के साथ है वनिता खरात का मैसेज, "मुझे अपने टैलेंट, पैशन, कॉन्फिडेंस पे गर्व है, मुझे अपने शरीर पे गर्व है क्यूंकि मैं मैं हूँ!"
आखिर इतने समय से मैं अकेली ही तो सब कर रही थी। माँजी सारी उम्मीदें सिर्फ बहु से क्यों क्या बेटियों का कोई फ़र्ज नहीं मायके के तरफ।
और बता निशा तेरी सास का स्वभाव कैसा है? और वो तेरी जेठानी तेरे साथ अच्छे से तो रहती है ना? मुझे तो तेरी जेठानी बहुत घमंडी लगी।
खुद की देखभाल में कमी और अपनी तरफ से लापरवाही का ही नतीजा आज शीशे में उसके अक्स के रूप में दिख रहा था। वो खुद को पहचान ही नहीं पायी...
स्टारप्लस के अनुपमा, इमली, साथ निभाना साथिया, कलर्स का बैरिस्टर बाबू आदि कई महिला प्रधान सीरियल मुझे तो बेहद पसंद हैं।
यहां देखिये 80 और 90 के दशक के कुछ प्रसिद्ध हिंदी सीरियल जिन्होंने दर्शकों का दिल तो जीता ही, साथ ही औरतों के मुद्दों को भी खुल के रखा!
ये झूठ बोल रहा है! इसने मेरी कुछ वीडियो और फोटो ले ली थी और मुझे धमकी दे रहा था कि उसे सोशल मीडिया पर डाल देगा और जब मैंने मना किया तो...
अपनी हिम्मत से महिला किसी भी फील्ड में ट्रॉफी अपने नाम कर सकती है। ये बिग बॉस की इन सशक्त और सफल महिला विनर्स ने हर बार साबित किया है।
जब भी कोई ख़ास सलाह के लिये बेटी और दामाद को बुलाया जाता तो पूरा परिवार कमरे में बंद हो जाता और अंदर ही अपनी खिचड़ी पकाता। लेकिन घर की बहू?
मैं गुजर रही हूँ, कुछ सालों पहले तक आप भी गुजरती थीं। जो क्रिया माँ बनने के लिये ज़रुरी है, उससे कोई स्त्री अपवित्र कैसे हो सकती है?
अतुल जी नाम बदलने की रस्म पुराने समय के रिवाज़ थे, जब अर्रेंज मैरिज में लड़के लड़की मिलना तो दूर, शादी से पहले एक दूसरे को देखते भी नहीं थे।
जब मेरी माँ अकेली औरत होकर हम बहनों को बेटों की तरह पाल सकती है, तो हम बहनें क्यूँ नहीं उनको अंतिम विदाई दे सकते हैं?
एक महिला होने के तौर पर मैं बिग बॉस 14 में विकास गुप्ता का अर्शी खान के साथ किये गए इस उत्तेजक और हिंसक व्यवहार की निंदा करती हूँ।
दुनियां का है कैसा ये खेल निराला, कमजोर को सब दबाये, मजबूत के चूमे कदम, दुनियां की ये कैसी अनोखी रीत, है जो बिलकुल बदरंग।
जैसा व्यवहार हमारी सास ने हमारे साथ किया आप वैसा ही शुचि बहु के साथ करती हैं। वो जमाना कोई और था दीदी, अब समय बदल गया है।
वेब सीरीज़ पौरषपुर में मिलिंद सोमन एक बार फिर से अभिनय करते नज़र आयेंगे और मिलिंद के फर्स्ट लुक के बाहर आते ही उनका लुक चर्चे है, लेकिन...
तुम्हारी जेठानी और मैंने बहुत काम कर लिये, अब तुम्हारी जिम्मेदारी है रसोई और घर के रीती रिवाजों को समझने की, क्यों ठीक है न?
कल्पना कीजिये, कैसा महसूस होता होगा इन नन्हे किन्नर बच्चों को जब ये खुद नहीं जानते कि इनके साथ अलग बर्ताव क्यों होता है?
विदाई के बेला में अपने पापा के गले लग ज़ार ज़ार रोई वो। इतना कि सब के कलेजे काँप गए पर ये तो सिर्फ वो पिता ही समझ रहा था, कि ये आंसू...
घर के हालात देख अनिमेष दंग रह गया। दोनों बहनें आराम से टीवी देख रही थीं। माँ शायद छत पे पड़ोसन से बातें कर रही थी और रिया...
नीता की बात सुन ऑंखें दिखाती उसकी सासू माँ बोलीं, "बोला ना घुटने में दर्द है? मुझसे ना होगा कोई काम वाम और ना ही मोनू को संभाल पाऊँगी।"
जब से सोहम हुआ था निधि का अकेले अपने दोस्तों के साथ कहीं आना जाना बंद हो गया था, जबकि नीलाभ अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल जाता।
शेफाली शाह स्टार्रर नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज दिल्ली क्राइम ने प्रतिष्ठित एमी अवॉर्ड को अपने नाम कर पुरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया है।
बहु के रूप में एक बेटी क्या मिली, निर्मला के सपनों को पँख लग गए। साथ में चाय पीने से ले कर बाजार में सेल और साथ में फिल्मे देखने जाना।
मोना सिंह ने शादी से करीब पांच साल पहले ही अपने एग फ्रीज़ करवा दिये थे और ये जानकारी बहुत सी महिलाओं के लिये लाभदायक रहेगी।
आपका हक़ है मुझपे। जब मेरी इतनी चिंता कर सकती हैं, मेरे लिये प्रार्थना कर सकती हैं, तो मुझे मेरी गलती पे डाँट क्यों नहीं सकतीं?
बिग बॉस में पूरे एक घंटे में सितारे सिर्फ एक दूसरे को नीचा दिखाने और इमोशनल कार्ड खेलने में निकाल देते हैं। तब इसे मनोरंजन कैसे कहा जा सकता है?
गाड़ी के अंदर रिया अपने फ़ोन में बिजी थी कि तभी किसी ने गाड़ी की खिड़की पे ठक-ठक की। जैसे ही रिया ने नज़रें उठाईं, उसे तो वहीं काठ मार गया।
दस साल की बच्ची के मुँह से ये सुन रूपा को बहुत गुस्सा आया, "बिहेव योर सेल्फ सलोनी। वो दादी हैं तुम्हारी और जरुरी नहीं जो नानी करें वही दादी भी करें तुम्हें।"
एक नये अनूठे और बिलकुल अलग विषय पर आधारित है ये बालाजी टेलीफिल्मस का कलर्स चैनल पर 16 नवंबर 2020 से एयर होना वाला सीरियल मोलकी...
थोड़ी सी पैरों की खराबी के लिए अपनी बेटी के भविष्य को दांव पर नहीं लगने देंगें। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा तू एक बार फिर से जांच पड़ताल कर...
रूपा को डर था कि राघव के हर डिमांड को बिना सोचे पूरा कर देते हैं ऐसे तो चीज़ों की वैल्यू उसे कभी समझ नहीं आयेगी लेकिन आज...
जब भी कोई त्यौहार आता सुगंधा बहुत उदास हो जाती, सब कुछ होते हुए भी एक अजीब सी ख़ामोशी और खालीपन भरा था उसके जीवन में।
अनुपमा सीरियल एक सवाल पूछता है, क्या हमारा समाज विवाह निभाने की जिम्मेदारी स्त्रियों पे डाल पुरुषों को इस जिम्मेदारी से आज़ाद कर देता है?
खूब समझ रहा था अपनी कमी को विनोद, लेकिन स्वीकार करना उसके पुरुष के अहं पे ऊँगली उठने के बराबर होता और ऐसा कहाँ होता है...
अपनी नंद की बातों को सुन अनीता जी के चेहरे का रंग उड़ गया। शांति जी ने अपनी भाभी को सच का ऐसा आईना दिखलाया कि उनकी बोलती बंद हो गई।
उम्मीद थी अशोक भैया शायद भाभी को कुछ कहें, पर बड़े घर की बीवी और दहेज के सामान ने उनकी बुद्धि बदल दी थी।
रिया का दिल धक् धक् करने लगा। आज तक ऐसे किसी को ज़वाब नहीं दिया था लेकिन खुद पर गर्व भी हुआ कि खुद को दब्बूपन से आजाद किया उसने...
अब नील के निशान नहीं दिखते थे भाभी के बदन पर, दिखती थी तो वही सौम्य मुस्कुराहट जो पाँच साल पहले देखी थी मैंने उनके चेहरे पर...
रोज़ रोज़ आती आवाज़ों में नेहा को अपनी माँ की सिसकियाँ दिखती और उसकी आत्मा तड़प उठती। लेकिन अब बस हो चुका था...
धीरे धीरे माँ की बातों ने मोहनी की खूबसूरती की जगह उसकी बुराइयों ने लेना शुरू कर दिया। रूचि कुछ ज़वाब नहीं देती सिर्फ हाँ हूं कर फ़ोन रख देती।
नैना मॉल जा कर मेहंदी लगवा आना और अच्छे से तैयार हो पूजा करना और कुछ भी खाना पीना मत नहीं तो नमन के ऊपर परेशानी आयेंगी।
शादी पास आती है तो लड़कियाँ पार्लर भागती है और ये रिद्धि ऊपर छत पर क्या पढ़ती रहती है। इतनी पढ़ाई तो इसने दसवीं और बारहवीं में भी नहीं करी।
अपने घर में नेहा ने ना कभी ऐसा देखा, ना सुना। पापा और भाई दोनों कितने सलीके से पेश आते माँ और भाभी के साथ। लेकिन यहां तो...
खुद की बेटी आने की इतनी ख़ुशी है कि व्यंजनो की लिस्ट पकड़ा दी, लेकिन कभी मेरे मायके से कोई आये तो डर-डर के दो सब्ज़ी बनाती हूँ।
पापाजी ने प्लेट उठाई और रसोई की और चल दिए। उनके पीछे डरी सहमी सुम्मी भागी। पता नहीं क्या होगा आज, सोच-सोच के सुम्मी की जान निकली जा रही थी।
उसने दृढ़ निश्चय कर लिया, कि जो उसके साथ हुआ था, वह किसी के साथ वैसा नहीं होने देगी। और उस दिन...तो आखिर ऐसा हुआ क्या?
कहाँ था अमन का वो उत्साह जो उसके खुद के मम्मी-पापा आये थे तब था। खुद रिया ने कितने खुले दिल से उनका स्वागत किया था। तो अब ऐसा व्यवहार क्यूँ?
पिक्चर देकते हुए जब सुमित ने गुड्डन के हाथ को धीरे से छुआ तो गुड्डन ने अपना हाथ झटक दिया सुमित को बुरा तो लगा पर उसने कुछ कहा नहीं।
सीमा आज शाम को मैं तुम्हे दुल्हन की तरह सजा देखना चाहता हूँ। तुम वही लाल बनारसी साड़ी पहनना जो शादी के दिन पहनी थी और सोलह सिंगार भी करना।
अब तो जब मौका मिलता विनय ऋतू को इधर-उधर हाथ लगा देता। विनय की नज़रे ऋतू पर हीं टिकी रहतीं, रिश्तों का लिहाज कर ऋतू चुप रह जाती।
शेखर काम करते हैं, तो मैं भी करती हूँ बल्कि उनसे ज्यादा करती हूँ। पर माँजी आपको सिर्फ शेखर का काम, उनकी थकान दिखती है, मेरी नहीं?
तुमसे पूछ-पूछ कर मसाले तो डाले और खुशबू भी बिलकुल वैसी ही आ रही है, लेकिन वो प्यार कैसी डालूँ माँ जो तुम डालती हो इन अचार की बरियों में...
उसने दरवाजा खोलते ही एक करारा थप्पड़ जड़ दिया पलक के गाल पे और लगे डांटने! डर से कांपती पलक के गाल रवि के उंगलियों के निशान से लाल हो चुके थे।
जो सपने सोम के अधूरे रह गए थे वो उसने दूसरे बच्चों के पूरे करने में लगा दिया। सोम ने एक बार फिर से जिंदगी को जीना सीख लिया था।
पिताजी के कमरे में गए तो एक जीर्ण शीर्ण काया बिस्तर पर पड़ी थी। एक समय के रौबदार व्यक्तित्व के मालिक अपने पिता को इस तरह असहाय देख बिलख उठी सुधा।
दोनों प्यार के पंछी अपनी-अपनी ज़िम्मेदारीयों को पूरा करने निकल पड़े और आज इतने सालों बाद इस तरह दोनों फिर से मिल रहे थे...
आज एक फैसला ले लिया था नीला जी ने कि अब अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगी चाहे उन्हें वृद्धाश्रम ही क्यूँ ना जाना पड़े।
निशा के लिए तो सौम्या अब मुफ़्त की नौकरानी बन गई थी! किसी काम में हाथ ना बांटती, जब रमा जी मदद करती तो हॅंस कर सौम्या उन्हें मना कर देती।
विदाई के वक़्त जी भर के रोई शगुन अपने जन्म दाता के नहीं, अपने भाग्य विधाता के गले लग। कौन थे उसके भाग्य विधाता? और ऐसा क्या हुआ था उसके साथ?
इंद्र लोग में बैठे स्वामी अब सुन भी लो ये अरज हमारी, अब भेज भी दो मेघदूतो को बरसाओ इस वसुधा पे पानी।
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