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पर जिंदगी में राहें कभी खत्म नहीं हुआ करतीं, हर अंधेरे के बाद एक नई रोशनी अवश्य ही जन्म लेती है, मेरे सपने ने जीवन की प्रकाश रूपी राह चुन ली है।
मैं काॅरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के खिलाफ नहीं हूँ, लेकिन यदि आप अपनी सहकर्मी महिला के बच्चे की बेहतर देखभाल के बारे में अच्छा नहीं सोचते तो यह ढकोसला मात्र है।
जॉब के हेक्टिक शेड्यूल के बाद घर की देख-रेख करना मुश्किल लगता है, लेकिन अगर सब सिस्टेमेटिक तरीके से किया जाए तो ये कुछ आसान हो सकता है।
कर्तव्य कर्मा संस्था से जुड़ी हुई महिलाओं को सिर उठाकर समाज में जीने का हक हासिल हुआ है। वो स्वावलंबी हुई और उनको अपनी पहचान बनाने का मौका भी मिला।
'मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट’ बेहद सराहनीय है, पर, इसकी ग्राउंड रियलिटी अभी थोड़ी अलग है। इसका कुछ व्यापक असर हो, यह बहुत ज़रूरी है |
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