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मुझे उम्मीद है कि लोगों को अब एहसास होगा कि ‘घर’ से भी काम किया जा सकता है क्यूंकि काम तो काम होता है और घर हो या ऑफिस, ये तो बस स्थान मात्र हैं।
अनुवाद : शगुन मंगल
आख़िरकार घर से काम करना वैध हो गया है। दुनिया को यह समझने के लिए एक महामारी की आवश्यकता पड़ी कि घर से काम करना भी काम करने का आधिकारिक तरीका होता है। कम से कम भारत में तो घर से काम करना एक नई अवधारणा है और आईटी सेक्टर के कर्मचारियों या स्वतंत्र पेशेवरों के लिये तो ये कथित विशेषाधिकार बना हुआ है। इस तरह से काम करने वाली महिलाओं ने कुछ वर्षों से बड़े पैमाने पर दोस्तों परिवार और समुदाय के लोगों के तानों को सहा है।
मैंने उनमें से कुछ तानों की लिस्ट बनाने की कोशिश करी है जिन्हें मैंने सुना है, दूसरों ने सुना है या अनुभव करा है।
अब जब विभिन्न राज्यों और देशों की सर्वोच्च राजनीतिक शक्तियों द्वारा घर से काम करने की अवधारणा का सुझाव दिया गया है, तो मुझे उम्मीद है कि लोगों को अब एहसास होगा कि ‘घर’ सिर्फ काम करने के लिए एक दूसरा स्थान है। काम टाला नहीं जा सकता है और स्थिर है जबकि ‘घर’ या ‘ऑफिस’ तो बस नाम हैं।
हो सकता है, आधिकारिक लॉकडाउन की इस स्थिति में, जैसा कि अब पुरुष भी घर से काम कर रहे हैं, तो सामाजिक और पुरुष प्रधान वाली सोसाइटी में वर्क फ्रॉम होम को सामाजिक और पितृसत्तात्मक वैधता मिलेगी और महिलाओं को अब मित्रवत ताने नहीं दिए जाएंगे।
मूल चित्र : Canva
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