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वो अनमोल पल नवोदय के – नई राह नई रौशनी!

पर जिंदगी में राहें कभी खत्म नहीं हुआ करतीं, हर अंधेरे के बाद एक नई रोशनी अवश्य ही जन्म लेती है, मेरे सपने ने जीवन की प्रकाश रूपी राह चुन ली है। 

पर जिंदगी में राहें कभी खत्म नहीं हुआ करतीं, हर अंधेरे के बाद एक नई रोशनी अवश्य ही जन्म लेती है, मेरे सपने ने जीवन की प्रकाश रूपी राह चुन ली है। 

वो अनमोल पल

नवोदय की नौकरी के

सदा ही समाये रहेंगे मेरे ज़हन में

रूह भी झुठला नहीं सकती है

मेरे भावपूर्ण कथन को

इसकी नींव को गहराई से सींचा है मैंने

भुलाना चाहूं तो भी भुला ना पाऊं

कोई भी समझ न पाया मेरी व्यथा को

सभी अपना-अपना राग अलापते हैं

महसूस भी न कर सके मेरे

नवोदय के प्रति समर्पण को

न ही समझ सके मुश्किलें

क्या अल्फाज बयां करूं मैं 

मेरे परिवार में पति व बच्चों के

जतन को सलाम है

दिल के समीप होकर भी

दूर रहने का ग़म सह गए

इसके बावजूद मेरी

कोशिशों को कोई न समझ पाए

आखिर वही हुआ जो कभी

जीवन में सोचा न था

मेरे सामने एक ही पल में

नवोदय का सपना धूमिल हो गया

पर जिंदगी में राहें कभी

खत्म नहीं हुआ करतीं

हर अंधेरे के बाद एक

नई रोशनी अवश्य ही जन्म लेती है

मेरे  सपने ने नवीन उम्मीदों के साथ

जीवन की प्रकाश रूपी राह चुन ली है

लेखनी ने मेरी पुनः नई पहचान बुन ली है

मूलचित्र : Pixabay

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