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माँ की जुबानी
आज मेरा समय नहीं है शायद इसीलिए मैं नाराज़ थी

हेवी सिल्क, शिफॉन और चंदेरी साड़ियाँ उसने उन्हें दी थीं लेकिन वे कभी फटी जींस में और कभी अन्य आधुनिक पोशाकों में ही नजर आती थीं।

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जो मेरे साथ हुआ वो मेरी बहू के साथ नहीं होगा…

बेटा, एक औरत को औरत ही समझ सकती है। आदमी तो औरत को बहलाता है कि बस मैं ही हूं तुझे समझने वाला। औरत ही दूसरी औरत का असली सहारा है।

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उस अनजान फोन कॉल के आते ही मैं सब समझ गयी…

माही वॉशरूम में थी लेकिन उसका फोन वाइब्रेशन मोड पर बज रहा था। कोई अननोन नंबर था इसलिए कुमुद ने भी कॉल रिसीव नहीं किया।

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मेरी प्यारी बेटी, अब तुम कॉलेज जाओगी…

तुम्हारे साथ भी ऐसी कई घटनाएं होंगी। अगर शर्मिंदगी महसूस हो, झिटक देना। कभी कैंटीन में दोस्तों संग चाय/खाना गिर जाए, रंजिश तज देना।

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तो बता दूं आपको मेरे संडे के फन-डे का राज…

सब औरतें संडे को बहुत बिजी रहती हैं लेकिन एक तुम हो दुनिया से निराली। तुम आराम से बिना टेंशन के संडे का इन्तज़ार करती हो। आखिर कैसे?

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अब क्या करें बेटे तो नालायक ही होते हैं…

मैं तो किस्मत वाली हूँ कि मेरी दो बेटियां हैं, जो मेरा ख्याल रखती हैं। तुम्हारा तो बेटा है न, वह भी इकलौता! बेटे तो होते ही नालायक हैं।

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