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रिश्ते
अपने जीवन में विशेष रिश्तों के बारे में भारतीय महिलाओं की सच्ची कहानियाँ
यदि हमारी बहू ख़ुश नहीं है तो हम ख़ुशी-ख़ुशी दीवाली कैसे मनाएँगे?

मोक्षा, यह ससुराल में तुम्हारी! पहली दीवाली है और लक्ष्मी पूजा घर की लक्ष्मी के बगैर कैसे होगी? तुम दीवाली के बाद भाई दूज पर अपने मायके चली जाना।

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माँ, ये घर सिर्फ मेरी ननद का ही नहीं आपकी ननद का भी मायका है!

"आज मैंने आपसे आज सीखा है। दादी जी के स्वर्गीय होते ही जैसे बुआ जी का मायका खत्म हो गया, ठीक वैसे ही कल को जब मेरी बेटी होगी तब..."

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मैंने शादी की है अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं…

पूजा को कुछ समझ नहीं आया। उसने ऐसे ही पर्स वापस कर दिया, बहुत ही शातिर अंदाज़ में सासू माँ ने व्यवहार के आये हुए रूपये पूजा से वापस ले लिये थे।

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मुझे भी अपनी पत्नी की उम्र लंबी चाहिए…

तुम इस व्रत को इतना मानती हो! अगर ऐसा है तो केवल पत्नी को ही पति की लंबी आयु नहीं चाहिए बल्कि पति को भी तो अपनी पत्नी की लंबी आयु चाहिए।

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मम्मी जी, आपको भी हैप्पी करवा चौथ…

"पहले करवाचौथ से आज तक सब कुछ मैंने खुद से ही किया। कभी कोई कमी ना रही लेकिन, बस कुछ अरमान अधूरे रह गए जिंदगी में..."

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आपके लिए पराई सिर्फ आपकी पत्नी है और कोई नहीं…

"क्यों ना निकालूं बाल की खाल? जिंदगी क्या बार बार मिलती है। ब्याह के बाद की स्वतंत्रता और आनंद तो मिला नहीं, बंधन और जिम्मेदारियां भर भर के मिलती रहीं।"

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