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Indu Grover

My name is Indu. I am a computer engineer by profession and qualification. I am also a very analytical person and have interests in analyzing the things from a different perspective which convince me to pen down my ideas. I have lived in Canada for over 5 years and in Switzerland for over 3 years. Currently, I am living in the USA. I have also traveled widely, this extensive exposure to different cultures, religions and social values gives me an extra edge to see the things differently and compare them.

Voice of Indu Grover

स्वार्थी इंसान…

अनजाना - अनदेखा कोई खतरा है, लगता है खु़दा ने इंसानी क़ाबलियत को पर्खा है। शायद एक बार फिर इंसानों ने प्रकती को उसके ही विनाश के लिए मज़बूर कर दिया।

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क्यों आज कहीं है पकवानों की दिवाली और कहीं भुखमरी छायी है?

ना दिवाली है ना होली, क्यों पकवानों की खुशबू हवा में छाई है...गरीब कल भी नंगा था, गरीब आज भी नंगा है, बेबसी से दो मुठो दाल चावल के लिए आंखें उसने झुकाई हैं। 

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क्यों हमारी असली रिश्तों की जगह भर रहे हैं ये बेजान खिलौने?

मानसिक अवसाद या अकेलापन आज के दिन एक बहुत ही गंभीर समस्या के रूप में उभर रहा है, खास कर शहरी अकेलापन, जहां गहरे संवाद की कोई जगह ही नहीं है।

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क्यों मैं ग़ैर थी, ग़ैर हूँ और ग़ैर ही रहूँगी?

गैरों में भी तन्हा हूं, अपनों में बेगानी हूं, सरहदों के दायरों में घिरी, जिम्मेदारियों के चक्रव्यूह में उलझी, मेरा कोई अपना नहीं, मैं परदेसी हूं।

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जीवन जब थक जाए तब प्रकृति की परिभाषा एक सबसे प्यारे दोस्त की है!

जीवन जब थक हार कर बैठ जाता है, अच्छे बुरे ख़यालों का ताना-बाना बुनता है, हवा का झोंका झकझोर देता है, सब थकान उदासी को उधेड़ देता है। 

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दुर्गा पूजा : ये ही है सच्चे मायनों में अपनों की घर वापसी का उत्सव

दुर्गा पूजा के बारे में दिल्ली में रहते हुए सुना तो बहुत था। कभी-कभी पास की बंगाली कम्युनिटी में जाकर उत्सव देखा भी था, पर कभी दिल के इतने करीब नहीं था।

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फेसबुक की दुनिया बहुत छोटी होती है, तेरी मेरी खुशियों का ढिंढोरा होती है

मैंने भी कोशिश की, छुपा कर सब दुःख-दर्द सीने में, खुशिओं का मुखौटा लगाकर जीने की, पर क्या फ़ायदा ऐसे बेमानी मुस्कराने में, झूठी मुस्कान हमेशा फीकी होती है

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बर्फीले पहाड़-यहां हर लम्हा जीना ज़रूरी है

बर्फ के फूल जब-जब बरसते हैं, लगता है धरती-धरती नहीं, जन्नत हो मानो,कुदरत की इस नुमाइंदगी को देखने को, कितने दिल धड़कते हैं।

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खुद्दार हम भी बहुत हैं

ये ज़िद्द है हमारी घर-संसार अपना बचाने की, तभी तो इतना गिड़गिड़ाते हैं, रिश्तों में हम अहंकार लाते नहीं, नहीं तो खुद्दार हम भी बहुत हैं। 

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Incredible !ndia या मटमैला होता एक सुनहरी इतिहास

"औपचारिकता के दायरे से बाहर लोग पूछते हैं, क्या भारत की सड़कों पर बलात्कारी घूमते हैं", क्या समय के तूफ़ान में हमारा सुनहरी इतिहास वाक़ई मटमैला हो गया है? %

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अधूरा प्यार- क्यों मेरी धड़कनों को तुम्हारा ही इंतज़ार है

तुम्हारी हर तन्हाई में क्यों होती है उसी की परछाई-बहुत लगता है तुम मेरे हो, फिर भी आ ही जाती है कोई बात, लब पर तेरे गैरों की तरह। 

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उड़ने का साहस-हो अगर संग, तो साथ दो

जिंदगी की कई बारीकियों से तब मैं अंजानी थी-"जिंदगी बदलती है हर पल, पर न सोचा कि तू बदल जायेगा, ऐसे कैसे कोई अपना, सामने से पलट जायेगा?"

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मेरी एक सहेली कुँवारी रह गई, दुनिया की नज़र में ‘बेचारी’ रह गयी!

पढाई-डिग्री सब धरी रह गई, कैसे ये लड़की छड़ी रह गई - क्या आज भी शादी एक औरत की ज़िन्दगी का सबसे बड़ा मक़सद है?

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अल्हड़ प्यार

‘चाहती हूं नफरत  करुं  उससे ,पर  फिर  भी  यादों  से  उसी   की  ही  दिल  उमड़ा  पड़ा  है’- एक कविता   बहुत  उम्मीद  से  था  मैने  फ़ोन  उठाया , बहुत  बैरूखी  से  था  उन्होंने   दिल  दुखाया। ऊपर  से  किया  ये  हसी-सित्तम , कह  दिया  सो  जाओ, करते  हैं  बात  कल  हम। संजीदगी  का  है  ये   कैसा […]

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जीवन का अक्स

समय शाश्वत है , जो जीवन बीत गया सो बीत  गया, पर अब भी सही मायने  में जीवन जिया  जा सकता है - यह प्रेरणा देती एक कविता।

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फेसबुक के मुखौटे

यह कविता कहती है कि फ़ेसबुक  पर जो दिखता है वह हमेशा सच नहीं होता और हमें  उससे ज़्यादा प्रभावित नहीं होना चाहिए। 

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The Magic Mindset : How to Find Your Happy Place

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