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तुम्हारी हर तन्हाई में क्यों होती है उसी की परछाई-बहुत लगता है तुम मेरे हो, फिर भी आ ही जाती है कोई बात, लब पर तेरे गैरों की तरह।
चुभ ही जाती है कोई बात गहरी सीने में फांस की तरह, बहुत लगता है तुम मेरे हो, फिर भी आ ही जाती है कोई बात, लब पर तेरे गैरों की तरह।
होंठो पर क्यों है मेरे, तेरा ही अफसाना, जब लबों पर है तेरे गीत बेगाना।
मेरी कविताओं का आख़िर क्या है, पुराने पन्नों पर काली सियाही, पर दिल तो तुम्हारा उसी के लिए है धड़कता, जिसने थी की तुमसे बेवफ़ाई। और मैंने प्यार क्या किया, तेरे ग़म में आँसू बहाये, थी तेरी खुशियों में मुस्कुराई।
क्यों मेरी धड़कनों को तुम्हारा ही इंतज़ार है, जबकि तुम्हारे कानों में है गूंजती, उसी के प्यार की झंकार है।
जानती हूँ प्यार मेरा नाकामयाब है, जानती हूँ प्यार मेरा नाकामयाब है, फिर भी ना जाने क्यों लगता है, तू और बस तू ही मेरा ख़्वाब है।
यूँ तो सिर्फ तन्हा तुम होते हो, नहीं होता दूसरा कोई, पर तुम्हारी हर तन्हाई में क्यों होती है उसी की परछाई?
यूँ तो कहते हो कि कोई प्यार नहीं है तुमको उससे, पर क्यों है उससे तुम्हें, प्यार की इतनी गहराई।
ना होकर भी वो मौजूद है बीच हमारे, ना होकर भी वो मौजूद है बीच हमारे, मैंने तो उसकी नामौजूदगी से भी है मात खाई।
My name is Indu. I am a computer engineer by profession and qualification. I am
क्या पति-पत्नी का रिश्ता सिर्फ एक बेडरूम तक सीमित रहना चाहिए?
अपनी सास को खुश करूँ कि अपने पति को, आखिर कब तक ये सवाल मेरे सामने घूमता रहेगा?
अब तो अपनी बहु की बुराइयां करना बंद करें !
मेरी पत्नी
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