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बर्फीले पहाड़-यहां हर लम्हा जीना ज़रूरी है

बर्फ के फूल जब-जब बरसते हैं, लगता है धरती-धरती नहीं, जन्नत हो मानो,कुदरत की इस नुमाइंदगी को देखने को, कितने दिल धड़कते हैं।

बर्फ के फूल जब-जब बरसते हैं, लगता है धरती, धरती नहीं, जन्नत हो मानो, कुदरत की इस नुमाइंदगी को देखने को, कितने दिल धड़कते हैं।

लोग अक्सर पूछते हैं, क्यूँ हम बर्फीले पहाड़ों में जीवन बसर करते हैं?

मैं पूछती हूँ बता मुझको एक जगह जहां मिलती है हर सहूलियत,

कहीं सूरज का तेज है, कहीं रेत का आडम्बर,

फिर मेरे पहाड़ों का क्या दोष?

इस पर गिरती है अक्सर बर्फ, चाहे मई हो या दिसंबर।

पहाड़ हो या बर्फ,

ख़ूबसूरती को कितना भी बयाँ करो अधूरा है,

करने को महसूस इसे, यहां हर लम्हा जीना ज़रूरी है।

बर्फ की चादर से जब-जब पहाड़ ढकते हैं,

दिल के दायरे में ना जाने कितने अरमान उलझते हैं।

सफ़ेद बर्फ से ढकी राहों पर जब तुम-हम चलते हैं,

ना जाने कितनी बार गिरते-फिसलते हैं।

इस एहसास को जीने को, बेहिसाब दिल तरसते हैं।

बर्फ के फूल जब-जब बरसते हैं, लगता है धरती, धरती नहीं, जन्नत हो मानो,

कुदरत की इस नुमाइंदगी को देखने को, कितने दिल धड़कते हैं।

सर्द, बर्फीले तूफानों में जब-जब हम अटकते हैं,

ख़ुदा की बस एक नियामत पाने को सिर ना जाने कितने झुकते हैं।

 

लोग अक्सर पूछते हैं, क्यूँ  हम बर्फीले पहाड़ों में जीवन बसर करते हैं,

मैं पूछती हूँ, बता मुझको एक जगह, जहां ख़ुदा दिखता है,

एक बार पहाड़ों में आ कर देख, यहां हर मोड़ पर रब बसता है।

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Indu Grover

My name is Indu. I am a computer engineer by profession and qualification. I am also a very analytical person and have interests in analyzing the things from a different perspective which convince me to read more...

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