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#abbas
क्या सच में तुम कदम बाहर बढ़ा पाओगी? क्या तुम जी पाओगी?

'जो आज न बढ़ी तो कमज़ोर पड़ जाऊंगी, फिर माँ, दादी की तरह इस कुएं में तड़पती रह जाऊंगी', उस दिन मेरा अहम् जीता या उसका स्वाभिमान, नहीं जानता!

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बेशर्म दुल्हन होना मंजूर है लेकिन अपने सम्मान से समझौता करना नहीं…

तेरा दर्द मैं समझ सकती हूं लेकिन तुझे ही गाली देंगे। तेरे ही चरित्र पर उंगलियां उठाई जायेंगी। तू ये केस वापिस ले ले वरना...

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माँ मुझे बचा लो और ले जाओ यहां से…

जब भी मैं मनु को फोन करती तो या तो उसकी सास या संकेत फोन उठाकर कहते हैं कि 'बिजी है, थोड़ा बाद में कर लेगी बात', और फोन काट देते।

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मैंने सोचा अब बस, और उसके 2-4 मुक्के जड़ दिए…

भुवनेश रात को नशे में झूमता हुआ आता, मारपीट कर, कोमल की मर्जी के खिलाफ उसके साथ जबरदस्ती करता और सिगरेट से उसे जगह-जगह से दाग देता।

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अब बस मुझे उस बुज़दिल से दूर जाना है…

मेरे रोकने या विरोध करने पर वह पागल सा हो जाता है। रात रात भर जागता है और मुझे पलक भी नहीं झपकने देता। मैंने कई बार उसे समझने की कोशिश की...

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और अब बस! अब मैं नहीं कोई और डरेगा…

और फिर एक स्त्री के सिसकने की आवाज़ आई। ऐसी आवाज़ जो कभी बहुत पहले दर्द होने पर चीखी होगी लेकिन अब शायद उसे शारीरिक दर्द की आदत पड़ गई हो...

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