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अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो, हिंसा का रोज़नामचा क्यों लगता है?

कुर्रतुल ऐन हैदर साठ के दशक में जब हिंदुस्तान पहुंचीं तो पहला बेशमीमती अफसाना जो उन्होंने लिखा, वह था अगले जन्म मोहे बिटिया न कीजो...

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अब बस! मैं और चुप नहीं बैठूँगी…

निलेश के लिए यह रोज का था। पर रश्मी को अचरज इस बात से होता था कि कैसे कोई इंसान अपने किये को इतना अनदेखा कर सकता है?

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अपनी बेटियों को सहना नहीं ‘अब बस’ कहना सीखाएं

आप में से कितनों ने अपनी बेटियों को ये कहा, "वो तुमसे प्यार करते हैं, केयर करते हैं, तुम्हारी सुरक्षा चाहते हैं इसलिए ये सब करते हैं।" 

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मैं स्कूटी की चाभी नहीं जिसे इस्तेमाल किया और फेंक दिया…

"अरे! शादी के बाद ससुराल वालों को नौकरी करानी होगी तो वो लोग तुझे आगे पढ़ाएंगे। वरना उनकी मर्जी। शादी के बाद अपने घर जाकर अपनी मर्जी चलाते रहना।"

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मैंने ‘अब बस’ कह दिया, अब आप किस इंतज़ार में हैं?

कभी-कभी मन होता कि सब कुछ छोड़ कर ज़ोर से चिलाऊँ! 'अब बस! अब और नहीं!' क्या आप अपनी 'अब बस' कहानी साझा करने को तैयार हैं?

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तुम्हारी पत्नी सिर्फ एक जिस्म नहीं है…

शादी के बाद प्रियंका को जब पता चला तो वह स्वयं को ठगा हुआ महसूस करने लगी क्योंकि रवि से उसने यह उम्मीद कभी नहीं लगाई थी...

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