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उसके हिस्से में आती है गंदे बर्तनों से भरी रसोई, गंदे पानी से बजबजाता सिंक और घर के पुरुषों द्वारा खाने के बाद झूठन से पटी मेज।
"ये मत पहनो, वो मत पहनो... इससे बात मत करो... यहाँ मत जाओ... वहाँ मत जाओ... क्या है ये सब? ऐसा लगता है मैं आपकी पालतू चिड़िया हूँ..."
संचिता जब भी किसी बात के लिए पूछती, तो सास का जवाब यही होता कि मेरी बेटी की तो जिंदगी बर्बाद हो रही है और इसे अपनी ही पड़ी है।
मुझसे कहा कि तश्तरी में खीर देने की जरूरत नहीं है, वो किसी भी प्लेट में खा सकती हैं। क्यों? मैंने पूछा नहीं, उन्होंने बताया नहीं।
“माँ आप पढ़ी-लिखी होकर भी ऐसी बातें कर रही हो? आप तो शिवानी को कितना प्यार करती थीं, सब भूल गयीं?” रवि ने पूछा।
“तुमने क्यूँ जिद लगा रखी है कि नौकरी नहीं छोड़ना चाहती हूँ, वैसे भी तुम चवन्नी जितना ही कमाती हो?” अभय ने नेहा से कहा। “तुमने क्यूँ जिद लगा रखी है कि नौकरी नहीं छोड़ना चाहती हूँ, वैसे भी तुम चवन्नी जितना ही कमाती हो?” अभय ने नेहा से कहा। “हाँ अभय, अब मैंने जिद […]
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