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आशा कार्यकर्ता की जिंदगी को जानने के लिये आईये मेरे साथ और जानिये गुलाबी साड़ी जिनकी पहचान बन चुकी है, उनकी जिंदगी को थोड़ा करीब से।
रात में ही जेठानी जब कमरे में छोड़ने आई थी, तभी कह गई थी कि कल सुबह रसोई की रस्म है। सुबह जल्दी उठकर तैयार हो जाना।
"सीमा मेरे लिए नाश्ता अलग और खाना अलग अलग बनाना, मुझे एक जैसा खाना दो बार अच्छा नहीं लगता। तुम्हारी मम्मी भी अलग ही बनाती थी।"
ये क्या थर्ड क्लास गद्दे बिछा रखे हैं तुम्हारी माँ ने जतिन? बेबी को रैशेस आ जायेंगे। हटाओ इसे और नया सेट जो मैंने मंगवाया था वो बिछा दो।
तभी राकेश अंकल पीछे से कब आये, उसे पता भी नहीं चला। वह रिया के पीठ पर हाथ से सहलाते हुए बोले, "अरे मैं तो हल्दी निकालना भूल ही गया था।"
आज उसे खाता देख सीता जी से रहा ना गया वो बोल पड़ी, "लीला, तुम तो आदमियों जैसा खाती हो! इतना खाना ठीक नहीं!"
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