कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
तभी राकेश अंकल पीछे से कब आये, उसे पता भी नहीं चला। वह रिया के पीठ पर हाथ से सहलाते हुए बोले, "अरे मैं तो हल्दी निकालना भूल ही गया था।"
तभी राकेश अंकल पीछे से कब आये, उसे पता भी नहीं चला। वह रिया के पीठ पर हाथ से सहलाते हुए बोले, “अरे मैं तो हल्दी निकालना भूल ही गया था।”
रिया अपने मम्मी-पापा और छोटे भाई बहन के साथ इलाहाबाद में रहती थी। वह आत्मविश्वास से भरी हिम्मत वाली लड़की थी। बारहवीं देने के बाद, पिछले एक साल से इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्ज़ाम की तैयारी कर रही थी। उसके एक एंट्रेंस एग्ज़ाम का सेंटर दिल्ली मिला था।
जब सेंटर का पता चला था, तभी उसके पापा ने दिल्ली जाने के लिए रिया और अपना रिजर्वेशन ट्रेन में करवा लिया था। एग्ज़ाम के एक दिन पहले सुबह की उनकी ट्रेन थी। जिससे वह रात में ही दिल्ली पहुंच जाए, और सुबह एग्ज़ाम सेंटर टाइम से पहुंच जाएं।
दिल्ली में एक रात के लिए रिया और उसके पापा उसके नितिन चाचा के दोस्त राकेश अंकल के यहां रुकने वाले थे।और दूसरे दिन एग्ज़ाम सेंटर से वह लोग सीधा रेलवे स्टेशन आकर इलाहाबाद के लिए ट्रेन पकड़ने वाले थे। पापा ने अंकल से पहले ही अपने आने के बारे में बात कर ली थी।
राकेश अंकल इलाहाबाद के ही रहने वाले थे। दिल्ली में वह नौकरी करते थे और पत्नी मीना और अपनी बच्ची के साथ रहते थे। राकेश अंकल जब भी इलाहाबाद आते अक्सर उसके घर भी आते थे। पर रिया सामने मिल जाने पर बस उनसे नमस्ते कर लेती थी।
रात में जब रिया और उसके पापा दिल्ली पहुंचे। तो स्टेशन से ऑटो लेकर राकेश अंकल के घर गये। घर में अकेले अंकल ही थे। पापा के पूछने पर अंकल ने बताया कि मीना की मम्मी की तबीयत खराब थी और मीना का भाई इस समय यही था। तो दोनों साथ में घर चले गये। पापा और राकेश अंकल बात कर ही रहे थे। तभी रिया ने अंकल से पूछा, बाथरूम किधर है और वह बाथरूम चली गईं।
रिया बाथरूम से जैसे निकली तो देखा सामने किचन में अंकल कुछ बना रहे थे। रिया किचन के पास जाकर बोली, “अंकल आप क्या बना रहे हैं? लाइये मैं बना देती हूँ। आप परेशान ना हो।”
अंकल बोले, “अरे मैं बस चाय बना रहा था।”
रिया बोली, “आप पापा के पास जाइये। मैं चाय छान कर लाती हूँ।” इतने में अंकल चूल्हे के पास से हट गये। तो रिया चूल्हा के पास खड़ी होकर चाय बनाने लगी।
तभी राकेश अंकल उसके कंधे पर अपना पूरा हाथ रख कर बोले, “रिया तुम तो बड़ी जल्दी बड़ी हो गईं और इंजीनियरिंग की तैयारी भी करने लगीं?”
रिया को उनका हाथ रखना बिल्कुल नहीं अच्छा लगा। बहुत अजीब लगा उसे। वह उनसे दूर हट गई और बोली, “अंकल कप कहां है?”
तब अंकल ने बताया कि कप यहां रैक में रखा है। उसी समय पापा ने उन्हें बुलाया और वह किचन के बाहर चले गए
उस समय रिया को बहुत घबराहट हो रही थी। उसके समझ में कुछ नहीं आ रहा था। एक तरफ वह सोचती कि अंकल उसके चाचा के जैसे ही हैं, वह उनके बारे में गलत सोच रही है। दूसरी तरफ उनकी छूने से बहुत असहज भी महसूस कर रही थी।
किसी तरह उसने अपने आप को सामान्य किया और जल्दी से चाय लेकर पापा के पास आ गयी। पापा और राकेश अंकल टीवी देखते हुए बातें करने में लगे थे। रिया पापा से कुछ बोली नहीं, चुपचाप वही रखे, बैग से किताब निकल कर पढ़ने लगी।
पर रिया का मन पढ़ने में बिल्कुल नहीं लग रहा था। वही सब बातें उसके दिमाग में चल रही थी। तभी उसकी नजर सामने गई तो देखा, राकेश अंकल उसकी तरफ ही देख रहे थे। फिर रिया ने ध्यान दिया कि वह बड़ी अजीब नजरों से बार-बार उसे ही देख रहे हैं। उनके आंखों के अजीब भाव को देखकर रिया का सिक्स सेंस तेजी से काम करने लगा था। अब उसकी समझ में आ गया था कि अंकल के विचार और नियत उसके लिए सही नहीं है।
अभी रिया यह सब सोच ही रही थी कि अंकल बोले, “कुछ खाना बना लेता हूँ। रेस्टोरेंट्स यहां से बहुत दूर है, नहीं तो बाहर से ही ले आता।”
पापा बोले, “यार हम लोग तो दिन में काफी लेट खाना खाये थे, ज्यादा भूख नहीं है। ऐसा करो तुम सामान बता दो। रिया दाल चावल या खिचड़ी कुछ बना लेगी।”
रिया का मन तो बिल्कुल नहीं था। पर पापा के सामने मना करने की हिम्मत भी नहीं थी। इसलिए वह बोली, “अंकल आप सामान निकाल कर आ जाये, मैं खाना बना दूंगी।” और वह किताब पढ़ने लगी।
थोड़ी देर में रिया किचन में गई और उसने सोचा खिचड़ी बना लेती हूँ जल्दी बन जाएगी। और वह जल्दी-जल्दी चावल-दाल धोने लगी।
अचानक उनके हाथ रखने से रिया बहुत डर गई, उसने जल्दी से उनका हाथ झटक दिया और और बोली, “अंकल आप जाओ। मैं हल्दी कहाँ है देख लूंगी।”
“क्या हो गया तुम्हें?” कहकर वह बाहर निकल गये।
रिया बहुत डर गई थी। वह कांप रही थी। उसे समझ में आ गया था, उसकी चुप्पी को अंकल उसकी कमज़ोरी समझ रहे हैं। उसे घृणा हो रही थी उस आदमी से। उसने सोचा जाकर पापा को बता दूँ। फिर सोची इतनी रात में पापा और वह दोनों कहां जाएंगे?
पापा भी ज्यादा यहां के बारे में नहीं जानते हैं। पता नहीं बाहर ऑटो-टैक्सी मिले भी कि नहीं। पापा भी परेशान हो जाएंगे। और अंकल पापा के सामने उसे बेटा बेटा कह रहे हैं। कहीं अंकल यह ना कह दें कि मैं उनके बारे में गलत सोच रही हूँ।
उसका दिमाग तेजी से चल रहा था। फिर उसनेे सोचा कि रात भर की बात है। मैं अब पापा के आस पास ही रहूंगी। मैं इस आदमी को अपने पास आने का मौका ही नहीं दूंगी। उसने हिम्मत से काम लेते हुए पहले अपनी घबराहट को कंट्रोल किया और फिर खिचड़ी चूल्हे पर बनने के लिए रखकर बाहर आ गई।
बाहर आकर उसने हिम्मत के साथ अपने चेहरे के भाव को सामान्य रखा और किताब लेकर पढ़ने बैठ गई। उसने अपने पापा से कह दिया, “पापा मुझे भूख नहीं है और मेरा सिर भी बहुत दर्द कर रहा है। आप लोग खाना खा लीजिएगा।”
जब पापा और अंकल ने खाना खा लिया, तो अंकल पापा से बोले, “भैया आप बगल वाले बेडरूम में सो जाए। मैं यही ड्राइंग रूम में सो जाऊंगा। रिया को अभी पढ़ना होगा इसलिए वह मेरे बेडरूम में जाकर पढ़ ले और वही सो जाए।”
रिया बोली, “मेरा सिर दर्द कर रहा है, मैं अभी सो जाऊंगी। सुबह उठकर पढ़ लूंगी और मैं पापा के कमरे में ही सोऊंगी। मुझे अकेले कमरे में डर लगता है।”
पापा ने भी कहा, “कोई बात नहीं राकेश, यह मेरे ही कमरे में सो जाएगी। सुबह जल्दी उठकर निकलना भी पड़ेगा,क्योंकि सेंटर यहां से दूर है।”
इस बीच रिया ने अंकल की तरफ देखा तो नहीं था, पर उनकी गंदी नजर और नियत अपने ऊपर महसूस कर रही थी। रिया कमरे में आकर लेट गई थी,पर बहुत परेशान थी। उसे नींद नहीं आ रही थी। जैसे ही पापा सोए, वह चुपचाप उठी और दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया।
जगते हुए वह कब सो गई, उसे पता ही नहीं चला। सुबह पापा ने उसे जगाया और कहा, “उठो और जाओ जल्दी से तैयार हो जाओ। हमें जल्दी निकलना है।”
जैसे ही वह बाथरूम में जाने के लिए बाहर आई, तो देखा अभी अंकल के कमरे का दरवाजा बंद है। तब वह जल्दी से ब्रश और नहाकर तैयार हो गई।
बेड पर बैठ, बुक खोलकर जल्दी-जल्दी पेज पलट कर पढ़ने लगी। तभी अंकल रूम में आए और बेड पर बैठते हुए बोले, “अरे आप लोग तो तैयार हो गए। मैं चाय बना कर लाता हूँ।”
पापा बोले, “राकेश चाय पीने में देर हो जाएगी। अब हम निकलते हैं।”
अंकल बोले, “पांच मिनट रुकिए भैया, मैं कपड़े चेंज करके टैक्सी स्टैंड तक आपके साथ चलता हूं।” और वह जैसे ही कपड़े चेंज करने के लिए गये, वैसे ही पापा बाथरूम चले गए।
पापा के बाथरूम में जाते ही अंकल वापस आ गये थे। रिया ने पापा से कुछ बताया नहीं था, शायद इसलिए उनकी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी। रिया ने उन्हें आते देखा नहीं था क्योंकि वह दूसरी तरफ चेहरा किए पढ़ने में व्यस्त थी।
अंकल उसके बगल में बैठ कर अपना हाथ उसके पैर पर रख बोले, “एग्ज़ाम की तैयारी हो गई रिया?”
रिया को अब बर्दाश्त नहीं हुआ और उस पल उसको पता नहीं कहां से वो हौसला और वो हिम्मत आई कि एक हाथ में बुक लेकर वह झटके से खड़ी हुई, दूसरे हाथ से उसने एक मुक्का अंकल के मुहँ पर मार दिया और बोली, “हाँ अंकल तैयारी हो गई!” और जल्दी से बैग लेकर कमरे के बाहर निकल आयी।
बाथरूम का दरवाजा खटखटा कर पापा जल्दी बाहर निकलो देर हो रही है बोलते हुए घर का दरवाजा खोल कर घर के बाहर खड़ी हो गई।
अंकल शायद अपने रूम में भाग गए थे क्योंकि पापा के बार-बार बुलाने पर वह काफ़ी देर से बाहर आए। उनके नाक पर चोट लगी थी। शायद वह रिया की अंगूठी से लगी थी। पापा के पूछने पर उन्होंने बताया कि बाथरूम में पैर फिसल गया था और रैक का कोना उन्हें लग गया। रिया यह सुन कर मुस्कुरा दी थी।
उसके बाद वह और पापा एग्जाम सेंटर आये। रिया का एग्ज़ाम खत्म होने के बाद, वह लोग इंडिया गेट घूमने गये और रात की ट्रेन से वापस इलाहाबाद चले आये। घर आकर उसने अपनी मम्मी को सारी बात बताई।
मम्मी ने उसे समझाया कि तुम्हें पापा से बता देना चाहिए था। इतना कुछ तुम अकेले क्यों झेलती रही? पापा कुछ ना कुछ सोच समझकर करते। रिया अपनी मम्मी से बोली, “आप परेशान ना हों अगली बार अगर ऐसा कुछ होगा, तो मैं पापा को बता दूंगी। इस बार तो मैंने अपनी हिम्मत और हौसले से उन्हें खुद ही सबक़ सिखा दिया है।”
पल भर के उस हौसले से रिया का आत्मविश्वास बढ़ गया था।
मूल चित्र: Still from Do Opposites Attract, MostlySane/YouTube
read more...
Women's Web is an open platform that publishes a diversity of views, individual posts do not necessarily represent the platform's views and opinions at all times.