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Neha is a Professor of Mass Communication. An erstwhile Copywriter and Corporate communications specialist, she is an an avid reader, editor of all that she reads, part time writer, full time friend and gym junkie. Feels strongly about women's issues and a registered supporter of UN's #heforshe program for women.
अधूरी हूँ मैं! अधूरे तुम! ना मुकमल मैं! ना मुकम्मल तुम! आ जाओ! आज एक ही लिहाफ़ में सिमट के, हो जाऊँ पूरी मैं, हो जाओ पूरे तुम!!
'तुम्हारी बेरुखी ने हमे शायरा बना दिया, कहीं गलती से इश्क कर बैठते, तो हम मुआलज़ीमजान ना होते?' रिश्ते होते ही कुछ ऐसे हैं, अच्छे अच्छे शायर बन बैठे!
रिश्तों के टूटने पर दिल से निकलती है ये दुआ, " जाओ आजा़द किया तुम्हें हमारे ख्यालों की हवालात से, शायद मेरी फिजा़ का तुम पर कुछ असर हो जाए?"
कुछ आज नया करते हैं, कुछ आज नया पढ़ते हैं। आइये आज सब कुछ छोड़ किसी के दिल से निकलीं इन नज़्मनुमा कविताओं को कुछ वक़्त देते हैं!
आज का इश्क़ - उन दो नीले अलामत की बेचैनी, दिल-ए-हाल की तशवीश, २०१९ में इश्क क्या हुआ आपसे ज़्यादा, हम अपने फ़ोन से जुड़ने लगे!
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