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2019 में इश्क विश्क प्यार व्यार, बिना नेटवर्क के अब मुमकिन कहाँ

आज का इश्क़ - उन दो नीले अलामत की बेचैनी, दिल-ए-हाल की तशवीश, २०१९ में इश्क क्या हुआ आपसे ज़्यादा, हम अपने फ़ोन से जुड़ने लगे!

आज का इश्क़ – उन दो नीले अलामत की बेचैनी, दिल-ए-हाल की तशवीश, २०१९ में इश्क क्या हुआ आपसे ज़्यादा, हम अपने फ़ोन से जुड़ने लगे!

एक ज़माना था जब दिल के तार जोड़ने का इंतजा़र करते थे,
आज कल नेटवर्क का इंतज़ार है…

कार में बैठकर जाते हैं,
एक ही जगह पर खड़े, दौड़ लगाने के लिए,
सुबह की धूप छुए काफी वक्त हो गया है…

कॉफी के प्यालों में ढूंढते हैं रिश्ते,
बिल भरने तक की मोहलत है,
कभी हमारी रिहाइश पर आइए,
अनगिनत चाय के प्यालों के बीच,
शायद हम आपको और आप हमें मिल जाएं…

ख़रीद फ़रोख़्त में ज़िंदगी गुज़री जा रही है
सौदेबाज़ी में माहिर हो चले हैं
हम दाम लगाने की होड़ में
कीमत भुलाए जा रहे हैं…

शाइस्ता सी ज़िंदगी गुजा़रा करते थे हम
आपसे तारुफ जो हुआ, बेहया हो गए
अब ना पाकीज़ लुभाती है और ना ही हम मुक़द्दस हो पाएंगे
बस आपके ख्वाबों में हम ज़लील हो जाएंगे…

फोन पर उंगली कभी दाएं कभी बाएं फिरती है
वालदेन अब रिश्ते लाने से कतराते हैं,
खुद ही ढूंढ लो बेटा ऐप पर,
वह फर्ज़ और ज़िम्मेदारी से रिहा हुए हैं
हम अपने ही बनाए दायरे में कैद हुए हैं…

आज आबो हवा मैं एक मुख्तसर सी रूहानियत है,
आज मौसम ने सारे गिले-शिकवे भुला कर आवाज़ दी है,
आज जवाब देकर इसकी तौहीन ना करो,
बस फिज़ाओं में शामिल होकर इसे हसीन करो…

हर शगल आपके फ़ोन का मोहताज़ है
शराफत का भी कोई ऐप होगा
तो उसे डाउनलोड करें,
आपकी शख्सियत दुआएं देगी…

उन दो नीले अलामत की बेचैनी,
दिल-ए-हाल की तशवीश
२०१९ में इश्क क्या हुआ आपसे ज़्यादा,
हम अपने फ़ोन से जुड़ने लगे…

आप शहर छोड़ के क्या गए
मौसम ही बदल गया
हवा खुश्क हो गई, खुर्शीद छिप गया
बस ख्यालों और ख्वाहिशों की धुंध में जिए जा रहे हैं…

मूल चित्र : Canva


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Neha Singh

Neha is a Professor of Mass Communication. An erstwhile Copywriter and Corporate communications specialist, she is an an avid reader, editor of all that she reads, part time writer, full time friend and gym junkie. read more...

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