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आज दिल की आवाज़ सुनो मिर्ज़ा क्यूंकि ज़िन्दगी सिर्फ दो पल की है!

कुछ आज नया करते हैं, कुछ आज नया पढ़ते हैं। आइये आज सब कुछ छोड़ किसी के दिल से निकलीं इन नज़्मनुमा कविताओं को कुछ वक़्त देते हैं!

कुछ आज नया करते हैं, कुछ आज नया पढ़ते हैं। आइये आज सब कुछ छोड़ किसी के दिल से निकलीं इन नज़्मनुमा कविताओं को कुछ वक़्त देते हैं!

१.
वह अपने कस्बे की तस्वीरें भेज भेज कर
बिन बुलाए पुकारते हैं
हज़ूर पुकार कर तो देखिए…
शायद आपकी किस्मत मसूद हो जाए?
२.
आपके अक्स को देखकर मुस्कुराया करते हैं
शख्सियत से रूबरू होने का मौका दे दीजिए अब
वरना जा़लिम दुनिया वाले ताजी़ख करते-करते
हाल-ए-दिल के चिथडे़ ना उड़ा दे

३.
अरास्ता करती हूं अराइश की फरमाइश पर
एक लम्हा निहारा भी नहीं
और चले गए…
चन्ना, मेरे दिल की आरजू़ को
अपने अरमानों की तरह
ना कुचलो
यह नाजुक है
हमारे इरादों की तरह मज़बूत नहीं
४.
कह दो कि तुम्हारी सांसे बढ़ती नहीं
कह दो कि तुम्हारे लभ थरथराते नहीं
कह दो कि हमारी आंखें दिलकश नहीं
कह दो कि हमारी शख्सियत खुशनुमा नहीं
आज सच से इनहिराफ होकर, कह भी डालो
जो ना तुममेें कहने की हिम्मत है…
और ना हम में सुनने की
५.
वह कहते हैं कि उन्हें अपने जज़्बातों पर यकीन नहीं
शुबा तो हमें भी है…
बहरहाल
बेरहमी से पेश आने का हुनर तो उनकी खासियत लगती है

६.
इतने भी जा़लिम ना हो मिर्जा़
वक्त को कंजूसी से खर्च ना करो मिर्जा़
वक्त की रेत हाथों से कब फिसल जाए
आप हाथ ही मलते ना रह जाए़

७.
आपसे तार्रुफ अभी-अभी हुआ है
जान पहचान का सिलसिला शुरू हुआ है
शख्सियत उभर कर आ रही है
तफसील रूबरू हो रही है
इस सिलसिले को जारी रहने दो,
यह दो पहियों की गाड़ी है,
एक, से ना चल पाएगी
इसे दो से ही चलने दो…

८.
दिल की सुनो मिर्जा़
इश्क, दिमाग का जो़र ले नहीं पाएगा,
दो पल की जिंदगी है
इसे सोच सोच कर बर्बाद ना करो मिर्जा़

९.
काश कि तुम मेरे हाथ में पकड़े तारों को देख पाते
काश कि तुम मेरी आंखों में कैद फूल गिन पाते
काश कि तुम मेरे ख्यालों में ना रहते
काश कि तुम अपने आप को मेरी नजरों से महसूस करते
काश ये इश्क ना होता
काश हम आपके होते और आपको पता भी ना होता

१०.
माना कि हमने साथ रहने की कसमें नहीं खाईं
माना कि तुमने कोई वायदे नहीं किए
मगर वफा के सिले से तुम मैहरूम रहो
यह हमें गवारा नहीं
किसी दूसरे के साथ तुम्हें बाटें
यह हमारा इरादा नहीं

११.
वह आए हमारी जिंदगी में, चले जाने के लिए
हम आए हैं उनकी जिंदगी में, सिले के लिए
इस आने जाने के सिलसिले मैं
फायदा किसी और का ना हो जाए
मानो कि वह आए थे, फकत
हमें रंजिश देने के लिए…

१२.
जायज़ा ले रहे हैं वह हमारी तस्वीश का
इन्तेहाँ ले रहे हैं वह हमारे सब्र का
मौकापरस्तों की दुनिया में कमी नहीं है
कीमत लगाने वालों की महफ़िल में
कदरदान का इंतजार है…

१३.
यह तुम्हारा कसूर नहीं कि तुम्हारी शख्सियत
तुम्हारे नाम का एहतराम करती है
जब नाम में ही एक वायदा हो, ना हिलने का,
तो तुम्हारा जिद्दी होना लाज़मी है…

१४.
हर रात एक नया ख्वाब देखता हूं
रंगीन है मेरी शामें
इन रातों में शामिल कभी ना होना
तुम तो सुबह कि वह एहतराम किरण हो
जिससे आज़ान शुरू होती है
और दिन का आगाज़ होता है
इस पाकीज़गी को मेैला करने का जुर्म हमसे ना होगा
१५.
हमारे बीच के सन्नाटे में डूब रही हूं मैं
मांजी़ की कश्ती, कब तक साथ देगी?
मुस्तकबिल का किनारा पुकार रहा है…

मूल चित्र : Canva

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About the Author

Neha Singh

Neha is a Professor of Mass Communication. An erstwhile Copywriter and Corporate communications specialist, she is an an avid reader, editor of all that she reads, part time writer, full time friend and gym junkie. read more...

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