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और आप तो कुछ बोलते ही नहीं हैं…

उसको लगता कि जब से उसकी जब से शादी हुई तब से आजादी खत्म हो गई थी। पति भी कभी कुछ नहीं बोलते लेकिन एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि...

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उसको लगता कि जब से उसकी जब से शादी हुई तब से आजादी खत्म हो गई थी। पति भी कभी कुछ नहीं बोलते लेकिन एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि…

“हर वक़्त के टोकाटाकी से मुझे सख्त नफ़रत होने लगी है”, नयनतारा ने नितीश से गुस्से में कहा तो वो उसे देखकर हल्के से मुस्कुराया फिर अपनी बेटी के साथ खेलने लगा जो अभी-अभी सोकर उठी थी।

“कुछ बोलिएगा मत आप, ऐसे ही खामोश बैठे रहिए। वैसे भी आपको क्यों फर्क़ पड़ने लगा? आपके ऊपर थोड़ी है इतनी सारी पाबंदियां। पाबंदियां तो हम बहुओं के ऊपर लगाई गई हैं, कौन समझाए पापा और मम्मी को? और आप तो कुछ बोलते ही नहीं। मैंने ही कहा था अपनी मम्मी से जहाँ आपकी मर्ज़ी हो वहाँ कर दीजिए मेरी शादी। मुझे क्या पता था कि…”

“मुझे इन मामलों में नहीं पड़ना।” नितीश ने बीच में ही बात काट कर कहा।” अगर कोई शिकायत है तो मेरे ज़रिए ना पहुचाओ खुद जाकर बोलो। अपने मायके में अपनी मम्मी से खुद ही तो बोलती होगी ना?”

“वो माँ हैं मेरी, ये सास हैं। बहुत फर्क़ होता है दोनों में”, वो तुनक कर बोली थी।

नयनतारा के घर में इतनी पाबंदियां नहीं थीं, वहाँ जो मर्ज़ी वो कर लेती थी। मगर जबसे शादी हुई थी तब से आजादी खत्म हो गई थी। वो तो नितीश इतने अच्छे थे कि कभी किसी बात पर उससे नहीं उलझते थे। हमेशा बीच में से निकल जाते। वो कितना भी बड़बड़ा ले, कितना भी उनके घर वालों को कुछ भी बोल दे, मगर मजाल जो वो बुरा मान जाएं।

बस एक बात कहते, “प्लीज यार! मुझसे कहने से अच्छा है कि तुम उनसे कहो जिससे तुमको प्राब्लम है। मैं तो बहुत सीधा हूँ, ना तुमको कुछ कह पाऊंगा ना अपने घर वालों को।” वो आंख दबा कर हंस पड़ा।

वो सचमुच बहुत अच्छा था, उससे प्यार भी बहुत करता था। मगर उतना ही प्यार अपने घर वालों से भी करता था। उसकी मम्मी पढ़ी-लिखी बहुत सुलझी हुई औरत थीं। हाँ पापा गुस्से वाले थे। उन्हीं ने घर में सबको कंट्रोल कर रखा था। टाइम से आना टाइम से जाना। घर में बताकर जाना कि आने में कितनी देर होगी या फिर खाना बाहर खाकर आएंगे हमारे लिए खाना ना बने। पापा बिलकुल बर्दाश्त नहीं करते थे कि खाना खराब हो। हाँ मगर ये भी था कि मेहमान नवाज़ी में अव्वल थे। मज़ाल है कोई खाना खाए बिना चला जाए।

नयनतारा उनकी छोटी बहू थी। उनकी सारी बात मानती थी। मगर जो हमेशा अपनी मर्ज़ी से रही हो उसको इतनी पाबंदी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। वो दोनों और उसकी जेठानी सभी उससे बहुत प्यार करते थे। पता नहीं क्यों? शायद इसलिए कि एक तो वो उनके लाडले बेटे और लाडले देवर की बीवी थी। सबसे बड़ी बात कमरे में चाहे जितना बड़बड़ा ले मगर कभी बड़ों के सामने कुछ भी नहीं कहा था।

मगर अब उसको बहुत गुस्सा आता। नितीश से अक्सर ही बहस करने लग जाती। मम्मी पापा के सवालों का बेरूखी से जवाब देती। पापा को थोड़ा अटपटा लगता तो मम्मी फौरन उसकी साइड ले लेतीं कहतीं, “क्या आप भी। छोटी सी तो है अभी। ऐसे माहौल में रही नहीं है ना और छोटी सी बिटिया है उसकी रात को जगाती है।

सुबह-सुबह उठकर कितना काम होता है। सब कुछ तो दोनों बहुओं ने ही संभाल रखा है थोड़ा बहुत ये सब चलता है। इतना देखेंगे तो हम साथ नहीं रह पाएंगे। फिर वही होगा कि सब अलग हो जाएंगे।” मम्मी ने पापा को तो समझा दिया मगर थोड़ी फिक्र मंद तो वो भी हो गई थी उसकी हरकतों से।

थोड़ा वक़्त और बीता सब वैसे ही चल रहा था। एक दिन नितीश को शादी में जाना था वो भी उनके साथ गई थी। वो अभी बैठी ही थी कि उसे हेमंत दिख गया उसके साथ ही पढ़ता था। वो उसको बहुत चाहती थी। उसको ये बात पता चल गई थी इसलिए उसको खूब इग्नोर करता और वो और पागल हो जाती। एक दिन नयनतारा ने खुद ही उसे प्रपोज कर दिया। पहले तो वो उसे देखता रहा फिर सबके सामने खूब मजाक उड़ाया। नयनतारा को उससे ये उम्मीद नहीं थी।

उसके मजाक की वजह से वो बीमार पड़ गई। कई दिनों तक वो कॉलेज नहीं गई तो वो खुद ही उससे मिलने उसके घर आ गया। घर वाले तो वैसे भी किसी बात के लिए मना नहीं करते थे। उसके आने से उन्हें क्या दिक्कत होती। वो उसको देखकर हैरान और बहुत खुश थी। उसने माफी भी मांग ली और ये भी बता दिया कि वो भी उससे बहुत प्यार करता है। बस थोड़ा सा बचपना कर गया। इसलिए उसको माफ कर दे। उसे कहाँ कुछ दिख रहा था ना उसकी गलती ना उसने जो सबके सामने बेज्जती की थी वो। वो फिर से कॉलेज जाने लगी और बहुत खुश रहती।

हेमंत का बर्थडे था। नयनतारा उसे सरप्राइज़ देना चाहती थी इसलिए बोल दिया, “वो आज नहीं आ पाएगी क्योंकि उसे बहुत जरूरी काम से फैमिली के साथ कहीं जाना है।” उसने थोड़ा नाराज़गी दिखाई फिर मान गया।

थोड़ा लेट आई थी वो और उसे ढूढनें लगी। फिर वो दिख गया। बाहर लॉन में बैठा था किसी लड़की के साथ। वो धीमें कदमों से चलती हुई गई थी। उन दोनों का मुंह दूसरी तरफ़ था इसलिए उसे देख नहीं पाए।

“तुमको पता है तुम रोते हुए बहुत खूबसूरत लगती हो”, वो बोल रहा था।

“मगर तुमको तो वो नैना अच्छी लगने है। मेरे घर वाले अब और इंतजार नहीं करेंगे। ऐसा ना हो कि तुम बदल जाओ और वो तुम्हें शादी के लिए बोले तब।”

“पागल हो क्या? शादी और उससे। कभी नहीं। अरे यार टाइम पास है वो। तुमने ही तो कहा था फ्लर्ट चाहे जिसके साथ करुं मगर शादी तो आपके ही साथ करुंगा। फिर उससे शादी करके जिंदगी बर्बाद करनी है क्या? बडे़ बाप की औलाद है गिफ्ट सिफ्ट लाती रहती है। पैसे वैसे खर्च करती रहती है। उसी की वजह से तो तुम्हारे बाबू की ऐश चल रही है। जब तक यहाँ हूँ तभी तक फिर तो कौन नैना कौन हेमंत”, वो हंसा तो उसके साथ बैठी लड़की भी हंस पड़ी थी।

उसका दिल किया दोनों के साथ कुछ कर डाले मगर इस बार उसने खुद को संभाल लिया वो नहीं चाहती थी कि इस बार उसका मजाक फिर से बन जाए।

उसने पढ़ाई छोड़ दी। सबने बहुत कहा मगर वो तैयार नहीं हुई। बल्कि उसने कह दिया उसे शादी करनी है जल्द से जल्द। हेमंत आया था उसके पास। उसने तबियत का बहाना बना कर उसे वापस भेज दिया कि जल्द ही वो आएगी मिलने।

फिर जब वो गई तो उसके हाथ में उसकी शादी का कार्ड था। वो बहुत हैरान था मगर आज उसने खुद को जीता हुआ महसूस किया। उसने बेवफा होने का इल्ज़ाम दिया तो वो हंस दी वो उसे उल्टा पुल्टा बोलने लगा उसकी बेज्जती करने लगा। शायद वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि कोई उसे छोड़ सकता है। पता नहीं कैसे उसका हाथ उठ गया और उसके गाल पर निशान छोड़ गया। वो देख लेने की धमकी देने लगा तो उसके दोस्तों ने बीच बचाव किया।

अब आज इतने दिनों बाद दिखा तो वो डर गई कि वो बदला लेगा। अगर घर वालों को कुछ बोल दिया तो या नितीश को। वो बहुत डरी थी। उसने उसे देख लिया। पहले तो हैरान हुआ फिर मुस्कुराया। साथ वाली लड़की से कुछ पूछ रहा था शायद उसी के बारे में।

“आपको पता है आपकी पत्नी मेरे साथ पढ़ती थी। वो नितीश के पास चला आया।”

“हाँ! तो क्या हो गया भाई। बहुत सारे लोगों के साथ पढ़ी होगी”, नितीश ने मुस्कुरा कर नयनतारा को देखा।

“मगर मेरी तो इनसे बहुत अच्छी दोस्ती थी। सबसे अच्छा दोस्त मैं था”, उसे बदला लेने का मौका मिल चुका था। पांच साल तक तड़पा था वो अब तो उसे बर्बाद कर ही देगा।

“अच्छी बात है। सबके जिंदगी में एक सबसे अच्छा दोस्त होता है। अब ज़रूरी तो नहीं है कि अगर ये लडकी हैं तो इनकी सबसे अच्छी दोस्त लड़की ही हो”, वो बहुत इतमिनान से बोल रहे थे।

“मगर मैं…”, वो फिर कुछ बोलने जा रहा था जब नितीश ने उसे रोक दिया।

“इनकी जिंदगी में क्या हुआ? कौन इनकी जिंदगी में आया। किससे इनकी दोस्ती थी मुझे जानने का कोई शौक नहीं है। ना तो मैं जानना चाहता हूँ। वो सब शादी से पहले था। करीब करीब सबका अपना माजी होता है। मैंने इनसे वादा किया है हमारे साथ पहले जो हुआ हो उसे भूल जाओ। हम अब कुछ एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते। एक दूसरे पर आंख बंद करके भरोसा करते हैं और तुम्हारे बारे में तो मालूम है मुझे। तुमको लगता है तुम आओगे कुछ बताओगे फिर मैं इन्हें इनके मायके छोड़ आऊंगा तो ये तुम्हारी गलतफहमी है। ऐसा कुछ नहीं होने वाला।” उन्होंने अच्छा खासा उसे लताड़ दिया।

उसके पास वहाँ से भागने के अलावा कोई चारा नहीं था। नयनतारा ने उसकी तरफ देखा उसका चेहरा उस दिन से ज्यादा लाल पड़ गया था जब उसने उसे थप्पड़ मारा था।

“थैक्स!” उसने सिर्फ इतना ही कहा था।

“थैंक्स की तो कोई बात ही नहीं। तुम मेरी जिंदगी का बहुत अहम हिस्सा हो। तुम पर कोई उंगली उठाए तो मैं चुपचाप तो नहीं रहूंगा ना? अगर मैंने आपको कुछ कह दिया तो मम्मी-पापा तो जान ही निकाल लेंगे भई।”

“कुछ भी हो जाए उनकी बहुओं को कोई रुला नहीं सकता और रही बात तुम्हारी उनसे अनबन की वो तो तुम दोनों को ठीक करना है। जो तुमको गलत लगे उसे बोलो, बैठ कर उनसे बात करके सही करो। अब वो जमाना चला गया कि बहुए सहतीं रहें और सास और ससुराल वाले जुल्म करते रहें।मेरे घर वाले थोड़े पुराने ख्यालात के ज़रुर हैं मगर उन्होंने कभी अपनी बहुओं को परेशान नहीं किया।

“बस इतना चाहते हैं जो करो अपने घर वालों के साथ उनके नॉलेज में करो जिससे हम सबको कभी कोई परेशानी ना हो। हम सबको एक दूसरे के बारे में सब कुछ तो नहीं मगर जितना ज़रुर उतना पता हो कि कोई बाहरी हमारा फायदा ना उठा पाए और थोड़ा बहुत तो ज्वाइंट फैमिली में बर्दाश्त करना ही पड़ता है। है कि नहीं? और हाँ उसे पाबंदियां नहीं कहते एक दूसरे का परवाह करना कहते हैं। तुम इकलौती थी इसलिए खूब लाड प्यार आजादी मिली मगर शादी के बाद थोड़ा तो बदलना ही होता है सबको।”

इतने सालों में आज पहली बार उसने उससे कुछ कहा था। मगर क्या कमाल का बोला, उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा बोझ भी खत्म कर दिया। हेमंत के बारे में नितीश को कुछ भी मालूम नहीं था, उसको बचाने के लिए झूठ बोल गए। आज जो उन्होंने किया उसके लिए तो वो अब सब सह लेगी। वैसे भी नितीश ठीक बोल रहे थे मसला अगर है तो समाधान भी होगा। बस उसे ढ़ूढने की ज़रूरत थी।

“आप तो बिल्कुल भी पुराने ख्यालात के नहीं हैं। हाँ आप अपने घर को जोड़ने के लिए कुछ नहीं बोलते हैं जैसे मम्मी जी करतीं हैं”,  उसने नितीश को देखकर कहा था।

“और थैंक्स मम्मा आपने मेरे लिए सबसे बेस्ट पति ढ़ूंढा है जो सिर्फ कहानियों में ही होता था”,  वो धीरे से हंस पड़ी थी।

मूल चित्र : GCShutter from Getty Images Signature, Canva Pro

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