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पूजा पेशे से कंपनी सचिव है और इसके अलावे पूजा ने विधि से स्नातक और वाणिज्य से स्नातकोत्तर की उपाधी भी ली है। शिक्षा के छेत्र में पूजा का योगदान बहुत मत्वपूर्ण रहा है और विगत 15 वर्षों से वो विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों में अपनी सेवा देती आ रही है जिनमे केंद्रीय विश्वविद्यालय झारखंड और भारतीय कंपनी सचिव संस्थान शामिल हैं। पूजा हिंदी साहित्य की सेवा भी करती आ रही हैं और इनके द्वारा लिखे लेख और कविताएं प्रतिष्ठित पत्र और पत्रिकाओं में स्थान पाते रहते हैं। झारखंड के आदिवासी समाज से विशेष लगाव होने के करण ये उनकी सेवा में जुटी हुई हैं और पहारिया जनजाति पर शोध कर रही है। पूजा भारतीय संस्कृति और उसके मानकों को जीवन का आधार मानती हैं ।
तभी तो! जो ज्यादा हो, उसे खोंस लेती है, नाभि के निकट! ताकि जुड़ी रहे उस नाल से, जिसने उसे मूर्त रूप दिया और भर दिए हैं संस्कार!
समाज के कीचड़ में सनकर भी कितना महकती है औरत।
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