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क्या शादी एक नये रिश्ते की शुरुआत से ज़्यादा, पुराने रिश्ते का खात्मा है?

सचमुच शादी जुआ ही तो है अगर सही हुआ तो ठीक, अन्यथा कितनी शादियां सही में सफल हो पाती हैं, ज्यादातर मामले में महिलाएं कुढ़ती हुई जीवन बिता देती हैं...

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सचमुच शादी जुआ ही तो है अगर सही हुआ तो ठीक, अन्यथा कितनी शादियां सही में सफल हो पाती हैं, ज्यादातर मामले में महिलाएं कुढ़ती हुई जीवन बिता देती हैं…

सजी-संवरी समिधा बढ़ रही थी कार की तरफ। खुद उसका ही निर्णय था यह विवाह। जीवन साथी डॉट कॉम के द्वारा उसने स्वयं ही इस वर का चुनाव किया था जिस पर स्वीकृति की मुहर लगी थी माता-पिता के द्वारा। उच्च शिक्षा प्राप्त समिधा नौकरी में थी और उसका होने वाला वर भी एक कंपनी में कार्यरत था।

आश्चर्य है मायका छूटने जैसा कुछ महसूस नहीं कर रही थी वो। इससे ज्यादा तो बुरा उसे तब लगता था जब छुट्टी के बाद अपने जॉब के लिए दिल्ली जाती थी।

ज्यादातर मामले में कुढ़ती हुई महिलाएं जीवन बिता देती हैं

प्रत्येक लड़की की तरह समिधा के मन में भी बहुत तरह की बातें घूम रही थी – आगे का जीवन सही रहेगा कि नहीं? कुछ गलत चुनाव तो उसने नहीं किया? सचमुच शादी जुआ ही तो है अगर सही हुआ तो ठीक, अन्यथा बहुत खोजबीन के बाद भी कितनी शादियां सही में सफल हो पाती हैं? ज्यादातर मामले में कुढ़ती हुई महिलाएं जीवन बिता देती हैं। अपने कुछ प्रिय लोगों का चेहरा आंखों में तैर गया समिधा के।

पर क्या सिर्फ ससुराल वाले जिम्मेदार हैं इसके लिए?

पर क्या सिर्फ ससुराल वाले जिम्मेदार हैं इसके लिए? उनके लिए तो वो एक सामान्य सी औरत मात्र है जिसका कर्तव्य है उस घर को चलाना। पर अपने माता पिता तो जानते हैं अपनी बिटिया को। वो घर जहां उसका जन्म हुआ, वह एक पूर्ण व्यक्तित्व बनी।

क्या शादी एक नये रिश्ते की शुरुआत से ज़्यादा, पुराने रिश्ते का खात्मा है?

क्या शादी एक नये रिश्ते की शुरुआत से ज्यादा, पुराने रिश्ते का खात्मा है?

लोग कहते हैं कि मायके वालों के हस्तक्षेप की वजह से बहुत सी लड़कियां अपने ससुराल में टिक नहीं पातीं। लेकिन विश्वास मानिए – बहुत सारी लड़कियां इसलिए मार दी जाती है या पीड़ित होती हैं क्योंकि उनका मायका हस्तक्षेप नहीं करता।

लड़कियां इसलिए भी पीड़ित होती हैं क्योंकि उनका मायका हस्तक्षेप नहीं करता

मम्मी के गले मिलकर, पापा को प्रणाम कर जैसे ही उठी वो, पापा बोले, ” बेटा, आज से इस घर के अलावा वो घर भी तुम्हारा है। सबका ध्यान रखना और कभी भी कोई परेशानी हो, तो हमेशा की तरह बेझिझक बताना।”

अंदर तक फिर वहीं आत्मविश्वास भर गया समिधा के। और एक नए रिश्ते को अपनाने के लिए कदम स्वत: बढ़ गए।

मूल चित्र : Canva 

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Medha Jha

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