कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
कैसे ढूंढें ऐसा काम जो रखे ख्याल आपके कौशल और सपनों का? जुड़िये इस special session पर आज 1.45 को!
समाज के कीचड़ में सनकर भी कितना महकती है औरत…
उन्माद सी पनपती है औरत रह कर बंदिशों में भी कितना खनकती है औरत भविष्य को मांजती भूत को दफ़नाकर वर्तमान में कैसे चहकती है औरत जला कर ख़्वाब चूल्हों में कैसे जुगनू सा चमकती है औरत समाज के कीचड़ में सनकर भी कितना महकती है औरत।
मूल चित्र : Pexels
विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।
हाँ औरत हूँ! मुझे जीने दो……
सिर्फ इसलिए क्योंकि औरत हूँ मैं…?
मर्द करे तो ठीक, लेकिन औरत करे तो बदचलन…!
घरेलू हिंसा : पितृसत्तात्मक समाज का प्रभाव? एक हिस्सा?
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!