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सासु माँ आपकी बहु भी आपके परिवार का हिस्सा है…

जब भी कोई ख़ास सलाह के लिये बेटी और दामाद को बुलाया जाता तो पूरा परिवार कमरे में बंद हो जाता और अंदर ही अपनी खिचड़ी पकाता। लेकिन घर की बहू?

जब भी कोई ख़ास सलाह के लिये बेटी और दामाद को बुलाया जाता तो पूरा परिवार कमरे में बंद हो जाता और अंदर ही अपनी खिचड़ी पकाता। लेकिन घर की बहू?

आज सुबह से ही पूजा रसोई में लगी हुई थी। छोटे देवर की शादी की बात चल रही थी और आज घर के इकलौते दामाद विपुल जी को बुलवाया गया था शादी के संबंध में राय मशवरा लेने को।

पूजा की शादी एक अच्छे खाते पीते परिवार में हुआ था। घर में सभी थे सास ससुर, दो छोटे देवर और एक ननद प्रिया और दामाद विपुल। प्रिया की शादी एक ही शहर में हुई थी और घर की हर बड़ी छोटी बात विपुल से सलाह कर के ही की जाती थी। पूजा को इस बात से कोई आपत्ति नहीं होती लेकिन विपुल के आते ही सबके सुर बदल जाते यहाँ तक की पूजा के पति रोहित के भी।

जब भी कोई ख़ास सलाह के लिये विपुल और प्रिया को बुलाया जाता तो पूरा परिवार कमरे में बंद हो जाता और अंदर ही अपनी खिचड़ी पकाता। दो साल की शादी में पूजा का काम सिर्फ विपुल के पसंद का नाश्ता खाना बनाना ही होता था।

घर की बहु होकर भी पूजा को घर की बातें नहीं बताई जाती और परायों सा व्यवहार किया जाता जबकि पूजा पूरे दिल से सबको अपनाने की कोशिश में लगी रहती। अपने ससुराल वालों का ऐसे व्यवहार देख पूजा बहुत दुखी होती और सोचती दामाद पे इतना विश्वास तो बहु पर क्यों नहीं? क्या मैं अपने परिवार के हित के लिये विपुल जी से कम सोचूंगी?

छोटे देवर की शादी संबंधी कोई जानकारी पूजा को नहीं बताई गई थी और आज गहनों के डिज़ाइन पसंद करने को प्रिया और विपुल को बुलाया गया था। अपनी आदत के अनुसार पूजा की सासूमाँ ने सुबह ही पूजा को बताना शुरु कर दिया कि घर के दामाद की कैसे खातिर करनी है और क्या क्या स्पेशल बनेगा। हर बार एक ही बात सुन के पूजा ऊब चुकी थी।

“जी माँजी मुझे अच्छे से पता है विपुल जी का कैसे स्वागत होगा और उनको खाने में क्या क्या खिलाना है। कोई पहली बार तो आ नहीं रहे अब तो मुझे सब याद हो गया है।”

“क्या कहा बहु? मत भूलो वो घर के दामाद है वो भी इकलौते दामाद।”

“माफ़ कीजिये माँजी”, अपनी सास को नाराज़ होता देख पूजा ने उस वक़्त तो माफ़ी माँग ली लेकिन बार-बार अपने साथ होते भेदभाव से पूजा बेहद चिढ़ सी गई थी। विपुल और प्रिया समय से आ गए और सब अपनी आदत अनुसार कमरा बंद कर कैटलॉग में डिज़ाइन पसंद करने लगे।

विपुल जी को कुछ चटपटा खाना था तो सासूमाँ ने प्याज़ के पकोड़े बनाने को पूजा को बोल दिया। पूजा ने गर्मागर्म पकोड़े बनाये और दरवाजे तक गई तो देखा आज सासूमाँ की गलती से अंदर से चिटकिन बंद नहीं थी, तो पूजा अंदर चली गई। कमरे में सब कैटलॉग पर झुके मंगलसूत्र का डिज़ाइन देख रहे थे। पूजा के आने का किसी को आभास ही नहीं हुआ। वहीं पूजा भी उत्सुकता से डिज़ाइन देखने लगी और एक मंगलसूत्र के डिज़ाइन पर ऊँगली रख कह दिया, “ये वाला सबसे सुन्दर है।”

पूजा का कहना था और सब पूजा तो ऐसे घूरने लगे जैसे पूजा ने कोई पाप कर दिया हो। सासूमाँ ने रोहित को घूरा और रोहित ने पूजा को।

“एक मिनट बाहर आना पूजा”, रोहित ने कड़क हो कहा।

पूजा और रोहित कमरे से बाहर क्या आये रोहित बुरी तरह बरस पड़ा पूजा पे, “ये क्या था? पूजा तुमसे किसी ने राय मांगी जो बीच में बोल पड़ी।”

“नहीं रोहित मुझसे किसी ने राय नहीं मांगी थी और अपने घर में राय मांगने की जरुरत भी क्या है?” पूजा भी आज अपना सब्र खो रही थी।

“बिलकुल जरुरत है। तुम बहु हो और बहुएं दामाद के सामने बोल उनका अपमान नहीं करती”, पूजा की सासूमाँ भी बीच में आ पूजा पे बरस पड़ी।

“माँजी क्या एक मंगलसूत्र का डिज़ाइन पसंद करने से इस घर के दामाद की इज़्ज़त कम हो जाती है या उनका अपमान हो जाता है और बहु का क्या उसका तो कोई मान अपमान जैसे है ही नहीं। बहु की तरह दामाद का भी सम्बन्ध इस घर से शादी के बाद जुड़ा है तो दामाद अपना और बहु पराई क्यों?

घर के सारे कामों के लिये बहु और सलाह के लिये सिर्फ दामाद? ये कैसा नियम है माँजी? मुझे उस बात से भी कोई आपत्ति नहीं लेकिन मेरे साथ जो ये सौतेला व्यवहार होता है इससे मुझे बेहद आपत्ति है।

आज से मैं ये सब नहीं सहूँगी माँजी। बहु होने के नाते मान सम्मान पे मेरा भी उतना ही हक़ है जितना इस घर के दामाद का। सोच लीजिये माँजी आज मैं कह रही हूँ। कल घर की नई बहु भी यही कहेगी। अब ये आपके हाथ में है। आपको इस घर में सुख शांति चाहिये या फिर? आगे आप खुद समझदार है।”

इतना कह पूजा अपने कमरे की ओर चल पड़ी। पीछे रोहित और सासूमाँ ठगे देखते रह गए।

मूल चित्र : Rahul Pandit via Pexels

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