कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

एक सलाम : प्रकृति और दीक्षा हैं आईटीबीपी की पहली डायरेक्ट कॉम्बैट महिला अफसर

प्रकृति और दीक्षा हैं आईटीबीपी ( भारत तिब्बत सीमा पुलिस) की पहली डायरेक्ट कॉम्बैट महिला अफसर, हमने उनसे जानने की कोशिश की ये कैसे संभव हुआ!

Tags:

प्रकृति और दीक्षा हैं आईटीबीपी (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) की पहली डायरेक्ट कॉम्बैट महिला अफसर, हमने उनसे जानने की कोशिश की ये कैसे संभव हुआ!

आधुनिक भारत की पहचान बनती कामकाजी महिलाएँ पूरे विश्व में अपनी जगह बना रही हैं। आए दिन अखबार, टेलीविज़न या सोशल मीडिया के माध्यम से हम इन महिलाओं के परिश्रम और सफलता की कहानियों से परिचित होते हैं। मन गौरवान्वित होता है यह सब देख-सुन कर। पिछले दिनों सुर्ख़ियों में आयी हमारे देश की दो बहादुर बेटियां, प्रकृति और दीक्षा। 

ITBP ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) के लिए प्रवेश परीक्षा के माध्यम से 2016 में लड़ाकू अधिकारियों के रूप में महिलाओं को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी।

ऐसा पहली बार हुआ है जब दो महिलाएं भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल में लड़ाकू अधिकारियों के रूप में शामिल हुई हैं। प्रकृति और दीक्षा सहायक कमांडेट के रूप में आईटीबीपी में शामिल हुईं हैं। दोनों महिला अधिकारी तकनीकी स्नातक हैं।

जहाँ दीक्षा ने बी.टेक किया है कंप्यूटर साइंस में वहीँ प्रकृति एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं। पढ़ाई में होशियार दोनों महिला अधिकारियों ने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से परीक्षा और कठिन ट्रेनिंग में जीत पाई है। यहाँ एक बात गौर करने वाली है कि प्रकृति और दीक्षा दोनों ने अपने नाम के साथ उपनाम नहीं जोड़ा है और इसका कारण है किसी जाति विशेष से अपने आपको ना जोड़ने की पहल। दोनों से हुई मेरी बातचीत के कुछ अंश मैं विमेंस वेब के रीडर्स के साथ साझा करने जा रही हूँ। 

प्रकृति और दीक्षा आईटीबीपी की पहली डायरेक्ट कॉम्बैट महिला अफसर हैं (Indo-Tibetan Border Police – Prakriti & Diksha are first direct combat women officer)

प्रकृति ने बताया कि उनका चयन वर्ष 2016 में पहली कॉम्बैट महिला अधिकारी के रूप में आईटीबीपी में हुआ है। ट्रेनिंग के दौरान उन्हें स्पाइनल कॉर्ड इंजरी हुई जिसकी वजह से उन्हें ट्रेनिंग बीच में छोड़नी पड़ी थी। पिछले साल 2020 में उन्होंने वापस से ट्रेनिंग ज्वाइन की। तभी एक दुर्घटना में उनकी प्रेरणास्रोत्र, माँ का निधन एक दुर्घटना के कारण हो गया। अपने आप को सँभालते हुए प्रकृति ने अपनी ट्रेनिंग पूरी कर अपनी माँ का सपना पूरा किया।

Source : provided by Officers ( left : Diksha/ right : Prakriti )

वही दीक्षा का चयन वर्ष 2019 में डायरेक्ट कॉम्बैट अफसर की तरह आईटीबीपी में हुआ। उन्होंने अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए चेन्नई के प्राइवेट कंपनी की नौकरी छोड़ दिल्ली आ UPSC की तैयारी की। पहले प्रयास में ही सफलता हासिल कर, अपनी पहली पसंद आईटीबीपी को ज्वाइन कर लिया। इस सेवा में जाने की प्रेरणा उन्हें उनके पिता श्री कमलेश कुमार से मिली। वह पिछले 32 वर्षों से आईटीबीपी में कार्यरत हैं। 

आईटीबीपी की पहली डायरेक्ट कॉम्बैट महिला अफसर से ट्रेनिंग के दिनों की कुछ बातें 

जब मैंने उन दोनों से ट्रेनिंग के दिनों की कुछ यादगार बातें बताने को कहा तो दोनों ने बताया कि ट्रेनिंग अपने में एक अनोखा अनुभव रहा है। दीक्षा बताती हैं कि रोज़ सुबह 4-4:30 बजे दिन शुरू हो जाता था। फिजिकल एक्सरसाइज से शुरू करते हुए, दिन में कई कई तरह की और फिजिकल ट्रेनिंग दी जाती थी।

इतना ही नहीं कई विषयों के बारे में पढ़ाया भी जाता था। समय प्रबंधन(Time management) ट्रेनिंग का एक प्रमुख हिस्सा था। रॉक क्लाइम्बिंग(Rock climbing), पैराग्लाइडिंग(Paragliding), रिवर राफ्टिंग (River rafting), हॉर्स राइडिंग(Horse riding), क्लिफ जंपिंग(Cliff jumping), स्विमिंग(Swimming) जैसे कई क्षेत्रों में निपूर्ण बनाया जाता है, ट्रेनिंग के दौरान।

Source : provided by Officers

दीक्षा ने ये भी बताया कि उन्होंने रूढ़िबद्ध धारणा को तोड़ते हुए कई स्पर्धाओं में लड़कों को हरा महिला शक्ति का प्रदर्शन किया। लड़कियों को कमज़ोर समझने वाली मानसिकता को झूठला देने की ख़ुशी उनकी बातों से साफ़ दिख रही थी। 

बेटियों के सुनहरे भविष्य के लिए परिवार का साथ ज़रूरी  

दोनों महिला ऑफिसर्स ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है। प्रकृति ने बताया कि उनकी स्वर्गीय माँ जो की शिक्षिका थीं, चाहती थीं कि प्रकृति अपने पिता की तरह देश की सेवा करें। बिहार के समस्तीपुर ज़िले से आयी प्रकृति बताती हैं कि कैसे उनके माता-पिता और छोटे भाई ने उनके हर फ़ैसले में उनका साथ दिया। जबकि कुछ रिश्तेदार उनके आईटीबीपी में आने के फैसले से खुश नहीं थे पर, इनसब बातों की परवा किये बिना वो अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती चली गयीं।

ऐसा ही कुछ दीक्षा के साथ भी हुआ। उनके गांव (इटावा,उत्तर प्रदेश) के लोगों और कुछ रिश्तेदारों को दीक्षा का पढ़ाई-लिखाई कर नौकरी करना बहुत पसंद नहीं आया था, पर माता-पिता के साथ ने हर मुश्किल घड़ी को आसान कर दिया। भाई ने हर कदम पर हिम्मत बधाई। फिर क्या था, आज वहीं रिश्तेदार और गांव के लोग दीक्षा का धूमधाम से स्वागत कर रहें हैं। 

बेटी और बेटा में कोई अंतर नहीं किया

हमारे समाज के ज़्यादातर लोगों को लड़कियों का पढ़-लिख कर नौकरी करना कुछ खास पसंद नहीं आता है। ऐसे में दीक्षा और प्रकृति, अर्धसैनिक बल में जाने की इच्छुक लड़कियों के लिए एक उम्मीद बन कर आयी हैं। बस ज़रूरत है हर महिला को अपने फ़ैसले खुद ले कर सही दिशा में बढ़ते रहने की। दोनों महिला अधिकारी ने बताया कि उनके माता-पिता ने कभी भी बेटी और बेटा में कोई अंतर नहीं किया। जिसका परिणाम आज हम सभी देख रहे हैं।

परिवार के साथ ने दोनों प्रतिभाशाली लड़कियों को एक नयी पहचान बनाने में सहायता कर समाज के सामने एक मिसाल पेश की है। आईटीबीपी की पहली डायरेक्ट कॉम्बैट महिला अफसर को हमारा सलाम!

मूल चित्र : Provided by Officers(Diksha & Prakriti)

 

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

Ashlesha Thakur

Ashlesha Thakur started her foray into the world of media at the age of 7 as a child artist on All India Radio. After finishing her education she joined a Television News channel as a read more...

26 Posts | 77,709 Views
All Categories