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शबरी सी भक्त हूँ, दुर्गा सी सशक्त हूँ। मेरे नाम अनेक, रूप अनेक, मैं औरत हूँ, हाँ मैं नारी हूँ, शक्ति मेरी अपार मैं महिला अवतारी हूँ।
मैं नारी हूँ, मैं महतारी, मैं न अबला हूँ न बेचारी। मुझसे मिलता जीवन जग को, माँ ममता बहन सुता संगिनी। हर रूप में मैं, कमाल करती, जीवन के हर क्षेत्र में धमाल करती।
कल्पना बन नभ में छा जाऊँ, इंद्रा बन देश चलाऊं। सानिया बन खेल जगत में छा जाऊं, सुनीता विलियम्स बन लहराऊँ। मैं रजिया, हजरत महल, पन्ना धाई। महादेवी वर्मा, बा कस्तूरबा, मैं लक्ष्मीबाई।
शकुंतला, अहिल्या, मेनका, उर्वशी तारा, सीता, माण्डवी, राधा, रुक्मिणी, मीरा। कैकई, सीता, मन्दोदरी, उर्मिला, कुंती, द्रौपदी, सती गांधारी और विहला। शबरी सी भक्त हूँ, दुर्गा सी सशक्त हूँ।
मेरे नाम अनेक, रूप अनेक, हर रूप में ममता और प्यार, मैं चाहूँ तो जग तरे, खफा होऊँ तो, कर दूं राख। लक्ष्मी, दुर्गा, सती, सरस्वती, कन्या घर, घर पूजी जाऊँ।
मैं काल की भी काली, महिमा मेरी, है अपार, मेरी दुआ न जाये खाली। मैं नारी हूँ, यमराज पर भी भारी हूँ। सावित्री हूं, यमराज से लड़ जाती। मैं जगतजननी, सृष्टि चलाती।
मेरा दूध पीकर, सब बढ़ता है, मेरे खून में ही दुनिया का अंश पलता है। मैं चाँद से ऊपर, सूरज से कठोर, कोमल हूँ, पर न होती कभी कमजोर। प्यार से सब कुछ लूटा दूँ, तो प्यार पर, सब कुछ हारी हूँ।
रक्षाबंधन, भैयादूज, करवाचौथ, हर पर्व जुड़ा मुझसे, हूँ देवी का स्वरूप। मैं प्रकृति, जननी, महिला, नारी, मत समझो मुझे, अबला बेचारी। मैं ऑफिसर हूँ, मैं देश की पहली नारी, मजदूर भी हूँ, शिक्षक भी, और सहती माहवारी।
शक्ति मुझसे, शांति मुझसे, मैं, पूजा ईबादत, प्यार मुझसे, संसार मुझसे, मैं सबकी चाहत। शर्म का श्रृंगार करती, संस्कार का दामन पकड़ चलती, अदा है जुदा, मोहिनी सी बावरी, मैं लड़की, मैं बेटी, मैं ही रति, और कौमारी। चामुंडा बन किसी से न डरती।
मैं औरत हूँ, हाँ मैं नारी हूँ, शक्ति मेरी अपार मैं महिला अवतारी हूँ।
मूल चित्र: Still from Film Madam Geeta Rani, YouTube
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