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अभी मैं सिर्फ 16 साल की हूँ और इस उम्र में मेरी शादी एक कानूनन अपराध है। मुझे पढ़ना है, अभी बस पढ़ना है...
जमाना कितना आगे बढ़ गया है व्यवहार, संस्कार, वातावरण, पर्यावरण, विचार, सोच, पहनावा, संस्कृति सब कुछ बदल चुका है। बहुत सी बातें जो हम 15-16 साल में सीख पाते थे, समझ पाते थे, जान पाते थे। आज 3 से 4 साल के बच्चे को आसानी से समझ आ जाती हैं। तकनीक की दुनिया में हम बहुत आगे निकल चुके हैं। हमारी सोच बहुत बदल चुकी है। अभी के जमाने (जेनरेशन) के अनुसार लकीर के फकीर बनने से अच्छा है कि हमें भी अपनी सोच को बदल लेनी चाहिए और जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए।
यही बात प्रीति अपने परिवार को समझा रही थी लेकिन प्रीति के परिवार में गाँव के विद्यालय से ज्यादा की शिक्षा लड़कियों को नहीं दिलवायी जाती थी। दसवीं से ज्यादा की शिक्षा, देने के पक्ष में परिवार वाले नहीं थे लेकिन प्रीति दसवीं के बाद आगे पढ़ाई करना चाहती थी।
घरवाले मानते थे कि बेटी अपने घर चली जाए वहीं अच्छा है। बेटी बड़ी हो गई है तो शरीर पर ढंग से दुपट्टा हो, माँग में पति के नाम का सिंदूर और ससुराल ही उसका घर हो।
इसी बात में ही वह अपनी बेटियों की भलाई समझते थे पर प्रीति मजबूत हौसले वाली और पढ़ाई में काफी होनहार थी पढ़ाई के अलावा वह अन्य गतिविधियों में भी काफी आगे थी। खेल-कूद जैसी अन्य प्रतिभाएं भी उसमें कूट-कूटकर भरी थीं पर प्रीति के परिवार वालों को उसकी प्रतिभा नज़र ही नहीं आती थी या वे देखना ही नहीं चाहते थे।
प्रीति की बुआ बाल-विवाह, दहेज-प्रथा और ससुराल के दबाव के कारण इस दुनिया को छोड़ चुकी थीं लेकिन प्रीति के घरवालों का क्या? वह तो बेटियों को पराया धन मानते थे। प्रीति ने जब दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की तो उसने घर में साफ कह दिया, “मैं बुआ की तरह शादी करने वाली नहीं हूँ और ना ही मैं अपनी पढ़ाई छोडूँगी मुझे अपना कैरियर बनाना है। दुनिया इतनी आगे बढ़ चुकी है और आप लोग बस बेटियों की शादी और अपने घर पर अटके हुए हैं?”
प्रीति के बातों से सारे घर में बवाल हो गया। उसकी दादी, उसकी चाची सभी प्रीति पर गुस्सा होकर भला-बुरा कहने लगीं लेकिन प्रीति ने किसी की एक भी नहीं सुनी। उसने माँ से कहा ,”माँ! तुम तो हिम्मत करो तुम्हें तो मेरे लिए बोलना चाहिए। तुम देख रही हो कि लड़कियां चाँद तक जा रही हैं और मेरे लिए तुम यह नहीं कह सकती हो कि, प्रीति की अभी शादी की उम्र नहीं है? मैं अभी सिर्फ 16 साल की हूँ और इस उम्र में मेरी शादी एक कानूनन अपराध है।मुझे पढ़ना है, अभी बस पढ़ना है।”
प्रीति ने घर में ऐलान कर दिया, “यदि मेरी पढ़ाई छुड़वा कर आपलोग मेरी शादी करवा देंगे तो मैं प्राथमिकी दर्ज करवा दूंगी। मैं प्रसाशन का सहयोग लूंगी।”
प्रीति को अपने घर में ही उसकी बातों से प्रताड़ित होना पड़ता था लेकिन प्रीति के मजबूत हौसले ने उसे हारने नहीं दिया। उसे आगे की पढ़ाई की इज़ाज़त मिल गई।
माँ ने भी घरवालों से बात की उसे माँ का काफी सहयोग मिला। 12वीं में प्रीति ने अपने स्कूल में टॉप किया। वह प्रशस्ति पत्र और मेडल लेने अपनी माँ के साथ गयी थी। माँ को गर्व हो रहा था अपनी बेटी पर आगे भी प्रीति ने अपनी मेहनत और अपने हौसले के साथ पढ़ाई जारी रखी।
साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी। प्रीति ने अपने विश्वास से अपना कैरियर बनाया और उसकी शादी भी अच्छे लड़के से हुई। प्रीति से छोटी उसकी जितनी भी कज़न बहने थीं घर में सभी प्रीति की तरह आगे निकलने के लिए तैयार थीं।
कहा जाता है कि ‘मन में अगर विश्वास हो तो जीत ज्यादा दूर नहीं होती है।’ वैसे भी आज के जमाने में गाँव हो या शहर पढ़ाई सबसे मजबूत हथियार है। इसके लिए रोकने-टोकने से बेहतर है कि यह हथियार सबको मिले।
प्रीति के विश्वास को सलाम!
इमेज सोर्स : Still from Uniform- Hindi Short Film, Six Sigma Films via YouTube
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