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फर्ज़

नाम में क्या रखा है बेटा। मुझे इस धरती ने बिना मांगे ही सब दिया।मैं भी कुछ आने वाली पीढ़ी को विरासत मे देना चाहता हूं।ये घने वृक्ष और इनकी छाया।

नाम में क्या रखा है बेटा। मुझे इस धरती ने बिना मांगे ही सब दिया।मैं भी कुछ आने वाली पीढ़ी को विरासत मे देना चाहता हूं।ये घने वृक्ष और इनकी छाया।

75 वर्षीय सरजू काका धूप में पौधे लगा रहे थे। एक राहगीर ने पास जाकर पूछा ?आप शहर के बाहर पौधे क्यों लगा रहे हैं?
काका ने कहा, ‘बेटा यह बरगद, पीपल, नीम और आम के पौधे हैं। कुछ सालों बाद यह वृक्ष बड़े हो जाएंगे।राहगीरों को छाया और फल देंगे।’
‘काका मगर उस समय तक आप तो नहीं रहेंगे कौन लेगा आपका नाम?’
काका ने कहा, ‘नाम में क्या रखा है बेटा। मुझे इस धरती ने बिना मांगे ही सब दिया।मैं भी कुछ आने वाली पीढ़ी को विरासत मे देना चाहता हूं।ये घने वृक्ष और इनकी छाया।”

मूल चित्र : Pixabay

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