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नारी! है शक्ति की अवतारी अब तू

चल उठ अपनी रक्षक बन, ले ले कवच ढाल हाथों में अब तू, ना कृष्ण कोई तुझे बचाने आएगा अबबन काली दिखा दे अब तू

चल उठ अपनी रक्षक बन, ले ले कवच ढाल हाथों में अब तू, ना कृष्ण कोई तुझे बचाने आएगा अब

बन काली दिखा दे अब तू

विलुप्त हो चुकी है भारतीय संस्कृति अब

इस युग में नारी को पग-पग पर

मानव रुप में दानव मिल रहे हैं अब

कभी चाचा, मामा, ताऊ, फूफा का चोला ओढ़े

चीर हरण उसका कर रहे हैं अब

 

तो कभी दे काम का झांसा

अबलाओं को छल रहे हैं अब

कभी समाज के ठेकेदार बन

मंडप सजा ब्याह रचा

तन-मन उसका घायल कर रहे हैं अब

 

और सीमा ध्वस्त होती उस वक्त

जब साधु-सन्यासी भेष में राक्षस

मासूमों को मसल रहे हैं अब

देगी अग्नि परीक्षा तू कब तक

ना कोई प्रमाण है तुझ पर

ना कोई तेरे दामन का दाग मिटा पाएगा अब

ना ही चीर हृदय को अपने

वसुधा समा लेगी तुझको अब

 

चल उठ अपनी रक्षक बन

ले ले कवच ढाल हाथों में अब तू

ना कृष्ण कोई तुझे बचाने आएगा अब

बन काली  दिखा दे अब तू

है शक्ति की अवतारी अब तू

है शक्ति की अवतारी अब तू

 

मूलचित्र : Pexels 

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