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बुद्धिमती, कर्मठ प्रयत्नशील नारी शक्ति हो तुम, अंतरिक्ष में उड़ने वाली कल्पना चावला हो तुम - नारी एक, रूप अनेक की परिकल्पना को पूर्ण करती है ये सुंदर कविता।
बुद्धिमती, कर्मठ प्रयत्नशील नारी शक्ति हो तुम, अंतरिक्ष में उड़ने वाली कल्पना चावला हो तुम – नारी एक, रूप अनेक की परिकल्पना को पूर्ण करती है ये सुंदर कविता।
नारी ईश्वर की सुंदरतम रचना हो तुममानव जाति की जन्मदात्री हो तुमप्रेम, समर्पण, त्याग की प्रतिरूप हो तुममां, बहन, पत्नी, पुत्री औे सखा रूप मेंममता की अद्भुत मूर्ति हो तुमनारी ईश्वर की सुंदरतम रचना हो तुम
रामायण, गीता, वेद पवित्र पुराण हों तुमसीता, अनुसुइया, सुलोचना, वंदनीय हो तुमलक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा, काली की अवतारी हो तुमपुरुष संग मिला कदम चलने वाली आधुनिक नारी हो तुमनारी ईश्वर की सुंदरतम रचना हो तुम
वीरांगनाओ में अग्रगणनीय लक्ष्मीबाई हो तुमबुद्धिमती, कर्मठ प्रयत्नशील नारी शक्ति हो तुमअंतरिक्ष में उड़ने वाली कल्पना चावला हो तुमकुमुदनी, सौम्य, विवेकी, सजग सबला हो तुमनारी ईश्वर की सुंदरतम रचना हो तुम
समुद्र सम गंभीर, चन्द्र सम शीतल, पर्वत सम अडिग, रवि सम तेजस्वनी, अनल सम पावन, धरा सम सहनशील हो तुमनारी ईश्वर की सुंदरतम रचना हो तुम
पुरुष की सहधर्मिणी, मित्र, अर्धांगिनी हो तुमबाधाओं, संघर्षों और अभावों में मां अन्नपूर्णा हो तुमघोर अन्धकार में आशा की एक किरण हो तुमइस सृष्टि की आधारभूत शिला हो तुमनारी ईश्वर की सुंदरतम रचना हो तुम!
मूल चित्र : Pexel
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