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कौन है यह मैं? क्या यह वही मैं है जो बदलाव लाना चाहता है पर हिचकिचाता भी है? सोचिये ज़रा!
ये महज मैं हूँ या सभी में एक मैं हूँ ..
वो मैं जो डरता है खुद को औरों के सामने लाने से..
जो डरता है सबके सामने खुद को ही अपनाने से..
जिसकी आवाज़ वो खुद भी नहीं सुन पाता है…
और जो भीड़ में बस भीड़ ही बन कर रह जाता है…
क्यूँ वो खुद के अलावा और सब बनना चाहता है…
क्यूँ औरों से मिलता रहता है ..
और बस खुद से ही मिलना भूल जाता है..
वो मैं जो लिखता है…
तो अपने शब्दों को हँसी के ठहाके से छिपता है…
या वो मैं जो नाचना चाहता है ..
पर फिर कहीं खुद में ही सिमट कर रह जाता है..
जो गुनगुनाते हुए खुद को ही सुनने में हिचकिचाता है ..
या वो मैं जो चाहता भी है …
पर आज़ाद नहीं हो पता है….
ये महज मैं हूँ या सभी में एक मैं हूँ …
क्यूँ डरता है ये मैं?
जो मैं एक बदलाव लाना चाहता है …
फिर “सब चलता है “कह कर खुद को ही बदला पाता है..
क्यूँ ये खुद को ही स्वीकार करने से हिचकिचाता है..
मेरे अंदर जाने कब से दबा छिपा मैं ये जानना चाहता है
मूल चित्र: Unsplash
An ordinary girl who dreams read more...
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