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मुश्किल होता है ये बचपन भी…

बचपन के दिन केवल सुहाने नहीं होते हैं , बचपन का अल्हड़पन बयां करती कविता। 

बचपन के दिन केवल सुहाने नहीं होते हैं , बचपन का अल्हड़पन बयां करती कविता। 

 

कैसा लगता है तुमको, जब किसी को समझ नहीं आता है

क्या चाह रहे हो तुम, क्या कहने को कोशिश है ,

कोई तुम्हारे शब्दों  को पढ़ नहीं पाता है,

अपने  सबसे प्यारे खिलोने को गले लगते हो,

या मम्मी की किसी चीज़ को फेंक आते हो

पापा की गोद मे छिप जाते  हो या,

किसी के पास आने से कतराते हो

पैर पटक पटक कर रोते हो या किसी पलंग के नीचे छिप जाते हो

अपने सबसे प्यारे दोस्त के पास भाग जाते हो या दादी से शिकायत कर आते हो

कितना मुश्किल होता है ये बचपन भी,

तुम रोते हो तो कभी तो कोई गले से लगता है और कभी और भी गुस्सा हो जाता है

कोई तुम्हारी बोली नहीं समझता ,

समझ सकती हूँ क़ि कितना गुस्सा आता है,

जब आप कहते कुछ हो और माँ पापा को कुछ और ही समझ आता है।

 

मूल चित्र : pexels 

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merelafz_rashmi

An ordinary girl who dreams read more...

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