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सोनिटा अलीज़ादेह के गानों में एक ऐसी विश्वजनीनता है, जो सिर्फ अफ़ग़ान ही नहीं, दुनिया की हर उस औरत पर लागू होती है जो पुरुषतंत्र का शिकार है...
सोनिटा अलीज़ादेह के गानों में एक ऐसी विश्वजनीनता है, जो सिर्फ अफ़ग़ान ही नहीं, दुनिया की हर उस औरत पर लागू होती है, जो चुपचाप किसी न किसी नाम और प्रकार से हर पल पुरुषतंत्र के शिकार बन रही हैं।
“भेड़ बकरी नहीं हूँ मैं/ कीमत जो तय कर दी हमारी/ स्कूल में वापस जाना है मुझे/ किताबों से ढूंढनी है अपने लिए/ संभावनाओं की एक नई राह…”
पाकिस्तान की मलाला यूसुफजाई की नाम और कीर्तियों के बारे में तो आप सब ही जानते हैं बहुत सालों से। पर तकरीबन उन्हीं की हमउम्र और उन्हीं की पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान से आयीं एक और लड़की भी है; जो पिछले कईं सालों से दुनिया भर में छाई हुयीं है अपनी एक अनोखी पहचान लिए।
छोटी सी सोनिटा अलीज़ादेह अफ़ग़ानिस्तान की हीराट शहर की एक छोटे से क़स्बे में बड़ी हो रही थी, जैसे उस मुल्क में हर बच्ची बड़ी होती है, धर्म, समाज और परिवार द्वारा थोपी गई ढेर सारी पाबंदियों के बीच भी सहेलियों की साथ खेलती हँसती हुई। सोनिटा को उनके परिवार ने पढ़ाई लिखाई के लिए प्राइमरी स्कूल तो भेज दिया, पर उसका सबसे ज़्यादा वक़्त बीतता था, गृहस्थी के कामों में अपनी माँ की हाथ बटाती हुई।
घर में उसके बड़े भाई या फिर दूसरे सारे लड़कों को जितना प्यार और महत्व मिलता था, वह जानती थी वैसा उसे कभी नहीं मिलेगा, क्योंकि वह एक लड़की है। इससे वैसे उस बच्ची को ज़्यादा अफसोस भी नहीं था, क्योंकि उसकी सारी परेशानियाँ मिट जाती थी स्कूल जा कर, अपनी सहेलियों से खेल कर…
सन 2006 की बीचोबीच। 10 साल की सोनिटा को घर में कुछ अजीब सा लग रहा था, जब माँ बाप से उसे अचानक से बेहतर बर्ताव मिलने लगी। उसे घर का काम कम दिया जा रहा था, ज़्यादा खाना और नई पोशाके भी मिलने लगी थी। बहुत पूछने पर माँ बोलीं, उसकी अब कुछ ही दिनों में निकाह होने वाला है, तो उसे हर तरीके से तैयार होना है। निकाह का असली मतलब तो सोनिटा को साफ पता नहीं था, पर अपनी छोटी सी ज़िन्दगी में मिली अनुभव से वह इतना ज़रूर जान चुकी थीं कि निकाह में लड़कियों को हमेशा के लिए भारी पैसे के बदले घरवाले “बेच देते हैं” किसी अनजान आदमी और परिवार के पास, जहाँ से लड़कियाँ शायद ही कभी घर वापस आ पाती है फिर।
निकाह की बात सुन कर सोनिटा बिल्कुल घबरा गई। उसे कतय यह मंज़ूर नहीं था। उसे अभी बहुत आगे तक पढ़ना था, अपने सारे सपनो को सच करना था। उसे बस निकाह नहीं करना था। वह बहुत रोई, बहुत गिड़गिड़ाई, पर उसकी किसीने नहीं सुनीं और निकाह का दिन तय तक हो गया। पर उसी वक़्त, हीराट पर तालिवान आतंकियों ने धावा बोल दिया। तालिबान के कहर से बचने के लिए सोनिटा का पूरा परिवार पड़ोसी देश ईरान की राजधानी तेहरान में भाग गयें और उसका तय हो चुका निकाह रद्द हो गया।
तेहरान में रिफ्यूजी के हैसियत से रहने वाली सोनिटा और उसके परिवार के दिन बेहद गरीबी और मुश्किलों से बीत रहा था। पढ़ाई लिखाई तो दूर की बात, परिवार को मदद करने के लिए सोनिटा ने अफ़ग़ान रिफ्यूजीयों के लिए चल रही एक एन.जी.ओ की टॉयलेट्स साफ करने का काम शुरू किया। पर ज़िद्दीसी इस बच्ची हर हाल में खुद को आगे बढ़ाना चाहती थी।
तो मुश्किल हालातों में भी उसने अकेले ही पढ़ना लिखना जारी रखा। एन.जी.ओ में अपनी खाली वक़्त में टीवी पर म्यूजिक वीडिओज़ देखने का शौख था सोनिटा को और ऐसे ही उन दिनों उसकी पहचान मशहूर इरानी रैपर ‘यस’ और अमरीकी रैप गायक ‘एमिनेम’ की गानों से हुई। वह उन रैप गानों से गहरी रूप से प्रभावित हुई क्योंकि वे गीत जैसे उसकी दिल की ही दर्द, हताशा और गुस्से की बात कर रहे थे।
रैप, जिससे आप पाठकों में ज़्यादातर 3 साल पहले आयी “गली बॉय” मूवी या दशकों पहले ‘बाबा सैगल’ के गानों से परिचित हुए होंगें। रैप एक ऐसा म्यूजिक फॉर्म है, जिसमें गायक जिन्हें रैपर कहा जाता है, वे तीखे, व्यंगात्मक और गुस्सैल शब्द इस्तमाल करके अपने और आसपास की हर परेशानी, समस्या और उनके अनोखे हलों के बारे में गाने रचतें हैं और उसे बिना किसी धुन की एक छंदबद्ध कविता की तरह गातें हैं।
जल्द ही सोनिटा ने भी अपनी मातृभाषा में रिफ्यूजी अफ़ग़ानों के संघर्षपूर्ण जीवन, अफगानिस्तान का गृहयद्ध, तालिबान की वजह से वतन की दुर्दशा, अफ़ग़ान समाज में हर उम्र की औरत जैसे उसकी सहेलियों की दयनीय स्थिति और उन पर थोपी जाती “ज़बरदस्ती निकाह” और “बेटी बेचने की रीत” के खिलाफ रैप कविताएँ सोनिटा अलीज़ादेह ने लिखना और गाना शूरु किया।
क्योंकि ईरान और शरीयत में मुस्लिम महिलाओं का खुले आम अकेले गाने गाना ‘गुनाह’ है, तो परिवार की ओर से सोनिटा अलीज़ादेह पर गाना ना गाने के लिए भारी दबाव भी आया। पर उसे अब रैप के रूप में ज़िन्दगी जीने की सबसे जरूरी और खुशहाल राह मिल गया था। उसने किसी की नहीं सुनी।
सारे खौफ भुला कर सोनिटा रैप करने लगी और सबसे छुप कर अपना एक युट्यूब चैनल भी खोला। फिर घर से ही रैप वीडियोज़ बना कर वहाँ पोस्ट करने लगी। सोनिटा के रैप गाने वायरल होने में वक़्त नहीं लगे और जल्द ही वो दुनिया भर के नवजवान अफ़ग़ान, खास कर अफ़ग़ान लड़कियाँ जो उसी की तरह ज़िन्दगी से मायूस और परेशान थे, उन में काफ़ी मशहूर भी हो गयी।
अफ़ग़ान कानून के मुताबिक एक लड़की का निकाह 16 साल की उम्र तक हो जानी अनिवार्य है। पर ज़्यादातर बच्चियों को उससे भी कईं साल पहले धर्म और सामाजिक प्रथा के नाम पर ज़बरदस्ती परिवार द्वारा ही अनजान और उम्र में काफी बड़े किसी आदमी के दिए गए पैसे के बदले उसके पास “बेच दिया जाता है” यानी उनकी “निकाह करा दिया जाता है”।
यूनाइटेड नेशन्स के आंकड़ों की देखें तो, 60-80% अफ़ग़ान लड़की ऐसे “फोर्स्ड मैरिज” और “ब्राइड सेल” जैसे बर्बर रिवायतों के शिकार होतें हैं और दुनिया भर में हर 2 सेकंड में एक बालविवाह सम्पन्न होती है। निकाह से पहले हो या बाद में, आम अफ़ग़ान महिलाएँ अपनी देश, धर्म और पुरुषतांत्रिक समाज के हाथों हैवानी ज़ुल्म सहती आयीं हैं। इन अन्यायों के खिलाफ बोलने वाली औरतें तो कईं आयीं पर बेरहमी से मारपीट या क़त्ल करके उन आवाज़ों को हमेशा दबा दिया गया है।
रैप गाने लिखती और गाती हुयीं टॉयलेट साफ करनेवाली रिफ्यूजी सोनिटा अलीज़ादेह अब 16 की हो गयी थीं। 2012 में छोटी सी सोनिटा की नुकीले लफ़्ज़ोंवाले अनोखे रैप गानों की बारे में सुन कर मुग्ध हुयीं ईरान की एक मशहूर महिला डॉक्युमेंट्री फ़िल्म मेकर ‘रोखसारे घिमाघामी’। उन्होंने 2012 से 2014 तक सोनिटा की रोज़मर्रा की काम, पढ़ाई, संघर्ष और रैपिंग पर एक वृत्त चित्र बनाया।
2015 में रिलीज़ हुई डॉक्यूमेंट्री ‘सोनिटा’ ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दिया था। अफ़ग़ानिस्तान में होनेवाले 2014 के चुनाव पर लोगों को वोट करने के लिए प्रोत्साहित करने के टॉपिक पर आयोजित एक अमरीकी कविता प्रतियोगिता में भाग ले कर सोनिटा ने 1 हज़ार डॉलर का पहला पुरस्कार जीतीं। बेटी ने उस पैसे को वतन लौट चुकीं अपनी माँ को भेज दिया, जो चौंक गयी थीं, ज़िन्दगी में पहली बार यह देख कर कि “लड़कीयाँ भी अपने दम पर लड़कों जैसे पैसे कमा सकती हैं”।
पर सोनिटा की सफलता उसकी परिवार के लिए कोई माईने नहीं रखती थी। उसकी माँ 3 साल बाद अफ़ग़ानिस्तान में सोनिटा का निकाह तय करके उसे हमेशा के लिए लेने आयीं। उसे निकाह में 9 हज़ार डॉलर में बेच दिया जाएगा क्योंकि उसके बड़े भाई के निकाह के लिए 7 हज़ार डॉलर से बीवी खरीदनी है, और बाकी बचे 2 हज़ार घर की मरम्मत के लिए ज़रूरी है।
सोनिटा जिन्हें अब निकाह का मतलब स्पष्ट पता था, अपनी माँ की ज़ुबान से यह सब सुन कर दर्द और गुस्से से सुन्न रह गयीं। माँ बेटी पर दबाव बढ़ाती रहीं पर बेटी की ज़िद के आगे माँ को हार मानना पड़ा। पर बिना किसी पैसे लिए वापस जाने पर भी उन्हें ऐतराज था, आखिरकार रोखसारे, जो अब सोनिटा की दोस्त भी बन चुकी थीं, 2 हज़ार डॉलर माँ को दिए और छह महीने का वक़्त सोनिटा के लिए मांगा।
इस घटना से गहरी रूप से हिली हुयीं सोनिटा ने अपनी ऐतिहासिक रैप कविता “ब्राइड्स फ़ॉर सेल” लिखीं और रोखसारे ने उसका एक ज़बरदस्त प्रभावशाली वीडियो बनाया, जिस में सोनिटा अपनी चेहरे पर प्राइस टैग आंकी हुई और गहरे घाव से लहूलुहान एक दुल्हन की पोशाक में रैप करती हुयी दिखीं…
” मुझे तुम्हारी कानों में फुसफुसा कर कहने दो, ताकी कोई सुन ना ले/ मुझे फुसफुसा कर कहने दो बेची जा रही दुल्हनों के बारे में/ क्योंकि वे कहतें हैं औरतों का चुप रहना ही/ इस शहर की रीत और धर्म है / …
…पर तुम सब अब चीखो औरतों/ अपनी ज़िंदगी भर की चुप्पी को तोड़ो/ मैं 15 साल की लड़की हूँ हिराट से/ मैं चिखूंगी क्योंकि खामोशी से थक गई हूँ मैं/…
… मैं चिखूंगी तुम सब की चुप्पी की भरपाई के लिए/ मैं चिखूंगी मेरे बदन की गहरी घाव के लिए / मैं चिखूंगी क्योंकि थकी पर डरी नहीं हूँ मैं/ पिंजरे के अंदर तुम्हारे लगाए प्राइस टैग के साथ…” लिखी थी कवि सोनिटा ने।
कुछ हद तक खुदको हल्का और महफूज़ महसूस कर रहीं सोनिटा ने अपनी काम, पढ़ाई और रैपिंग जारी रक्खी। ‘ब्राइड्स फ़ॉर सेल’ की बेमिसाल सफलता के बाद अमरीकी एन.जी.ओ ‘स्ट्रांगहार्ट ग्रुप’ ने सोनिटा को अमरीका, उटाह में स्थित वासाच अकादेमी में फूल स्कॉलरशिप पर अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखने का न्यौता दिया। सोनिटा को पता था, पता चलने पर घरवाले उसे रोक लेंगे। इसी लिए अमरीका पहुंचने से पहले सोनिटा ने घर पर किसी को इस बारे में भनक तक लगने नहीं दी थी। शुरुआती सालों की विरोध के बाद अब जब सोनिटा एक मशहूर व्यक्तित्व बन गईं है, उनकी परिवार ने उन्हें सम्मान के साथ अपना लिया है।
इसके बाद 2021 तक सोनिटा, ‘नफ़स’, ‘ गर्ल्स, ‘ब्रेव एंड बोल्ड’, ‘चाइल्ड लेबर’, ‘ यूनाइट’ जैसी एक के बाद एक असामान्य रैप वीडियो बनाती रहीं और दुनिया भर में अपनी बात पहुँचाने के लिए लाइव परफॉर्म भी करती रहीं। सीधे-सादे पर तीब्र तेजस्वी शब्द सोनिटा की कविताओं की विशेषता हैं। उन्हें अपनी पहल के लिए कईं पुरस्कार और सम्मानों से नवाज़ा भी गया है।
उनके गानों में एक ऐसी विश्वजनीनता है, जो सिर्फ अफ़ग़ान ही नहीं, दुनिया की हर वह औरत पर लागू होती हैं, जो चुपचाप किसी न किसी नाम और प्रकार से हर पल पुरुषतंत्र के शिकार बन रही हैं।
अब सोनिटा अमरीका के न्यूयॉर्क में ही रहतीं है और अपनी पढ़ाई पूरी कर महिला सशक्तिकरण और बालविवाह जैसी मुद्दों पर पूरी तरह एक एक्टिविस्ट बन चुकीं है। वह खुद को एक “रैपटिविस्ट” कहतीं है, जो महिलाओं की मानवाधिकारों के लिए निरंतर अपनी रैप गानों की ज़रिये लड़ रहीं है।
आज जब अफ़ग़ानिस्तान नए सिरे से तालिबानी दहशत झेल रहा है, तब भी सोनिटा चुप नहीं बैठी हैं और हर तरीके से अपनी वतन और वहाँ की औरतों की जमीनी हक़ीक़त को दुनिया के सामने बेखौफ तरीके से ला रहीं है।
सोनिटा एक यथार्थ कलाकार है, जिनके पास अपनी कला एक सशक्त हथियार है। उन्हें विश्वास है, इस के बल पर एकदिन वह अफ़ग़ान औरतों की दुर्दशा, बालविवाह, ब्राइड सेल जैसी भयानक प्रथाओं को हमेशा के लिए खत्म कर पाएंगी..
“अच्छी लड़कियाँ कुत्तों की तरह होतीं हैं/ तुम उनसे बस खेलते हो/ अपनी राहे चुनने का हक़/ उन्हें नहीं देते हो तुम/ पर मैं एक सिंगर हूँ/ मुझे अपने लिए रौशन एक आनेवाला कल चाहिए…”
मूल चित्र : Sonita Alizadeh/ Instagram
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