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अच्छा अब ये बात तुम किसी से नहीं कहना…

बेटा हम हैं लेकिन हमें समाज के नियमों के अनुसार चलना पड़ता हैं, रवि अंकल बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं हमारी नहीं सुनेगा कोई...

बेटा हम हैं लेकिन हमें समाज के नियमों के अनुसार चलना पड़ता हैं, रवि अंकल बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं हमारी नहीं सुनेगा कोई…

चेतावनी : इस कहानी में चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूस का विवरण है जो कुछ लोगों को परेशान कर सकता है 

“बेटा प्रीति! गुप्ता अंकल के यहाँ जाना है और तुम अभी तक तैयार नहीं हुईं?

“माँ! मुझे नहीं जाना उनके यहाँ, वहाँ पर रवि अंकल आएंगे और मैं उनका मुँह भी नहीं देखना चाहती।”

“बेटा! हम हैं ना तुम्हारे साथ, वो कितने साल पुरानी बात हो गई अब कुछ नहीं कहेंगे वो।”

माँ के लिए वो पुरानी बात हो गई थी लेकिन मुझे हर रोज वह बात चुभती थी, सब मुझे समझाते थे लेकिन वह जख्म थे कि भरते ही नहीं थे।

14 साल की थी मैं, पढ़ाई में आगे, खेलकूद में आगे और पेंटिंग बनाने का बहुत शौक़ था मुझे।  जिसकी फोटो देख लेती बना देती थीं, मम्मी-पापा, बड़े भैया सबकी चहेती थी मैं। सारा दिन चहकती सी घर में घूमती रहती थीं, जिंदगी जीने का अलग ही नजरिया था मेरा।

बढ़ती उम्र के साथ मेरा पेंटिंग का शौक़ भी बढ़ रहा था, इसे देखते हुए पापा जी ने उनके मित्र रवि शंकर मिश्रा जो कि पेंटिंग बनाना सिखाते थे उनके पास मेरी क्लासेज़ लगवानी की सोची। मैं भी बहुत ख़ुश थीं क्योंकि मुझे पेंटिंग का शौक़ तो था ही।

मैंने क्लासेज़ जाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे मैं बहुत कुछ बनाना भी सीख गई। रवि अंकल भी अच्छे से सिखाते लेकिन उनकी इस अच्छाई के पीछे का सच और ही था। मैंने महसूस किया कि अंकल सिखाने के बहाने मुझे गलत तरीके से छूते थे। पहले पहले मैंने ध्यान नहीं दिया लेकिन फिर एक दिन मेरे साथ सीखने वाले बच्चे जल्दी चले गए।

मैं अकेली थी और रवि अंकल ने मुझसे बद्तमीज़ी करने की कोशिश की। मैं अचानक से अपने साथ ऐसा होता देख घबरा गई और अंकल को धक्का देकर वहाँ से भाग गई। मारे घबराहट के मेरे कदम जल्दी-जल्दी घर की ओर बढ़ रहे थे। घर पहुंचते ही मैं जाकर कमरे में डर कर कोने में बैठ गई, एकदम चहकने वाली मैं चुप हो गई थी।

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अंकल ने ऐसा क्यों किया, मैं बहुत रो रही थीं  तभी माँ ने आकर मेरे रोने का कारण पूछा तो मैंने उनको सब बता दिया। माँ मेरी हालात देख घबरा गई थीं कि ये रवि अंकल ने क्या किया और क्यों मैं उनकी बेटी जैसी हूँ।

माँ ने मुझे चुप रहने को कहा और वे बोलीं, “बेटा! तुम ये बात किसी से ना कहना, वरना सब तुम्हारी गलती बता देंगे…”

“लेकिन माँ आप जानती हैं मुझ पर क्या बीत रही है।”

“मैं सब जानती हूँ बेटा लेकिन ये समाज एक औरत पर ही उँगलियाँ उठाता है…”

“लेकिन माँ आप लोग हैं ना मेरे साथ, तो फिर हम उन्हें सजा दिलाकर रहेंगे।”

“बेटा हम हैं लेकिन हमें समाज के नियमों के अनुसार चलना पड़ता हैं, रवि अंकल बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं हमारी नहीं सुनेगा कोई…”

माँ ने मुझे चुप करा दिया, उन्होंने ये सब बातें पापा और भाई को बताई तो वे बहुत गुस्सा हुए उन्होंने जाकर रवि अंकल से बात की तो रवि अंकल साफ मुकर गए। लेकिन भाई के ज़ोर देने और मेरे कहने पर उन्होंने सब सच कहा। भाई ने उन्हें बहुत मारा, पापा ने दोस्ती खत्म कर ली लेकिन पुलिस में शिकायत किसी ने नहीं कराने दी, वही समाज की दकियानूसी सोच की वजह से।

मैं चुप तो हो गई लेकिन मेरी पूरी जिंदगी में एक घाव की तरह मेरे जहन में ये बात दफ़न हो गई, हमेशा यहीं सोचती कि “काश अतीत में जाने का मौका मिलता तो रवि अंकल को सजा दिलवाती उनके गुनाहों की…”

प्रिय दोस्तों नमस्कार आज की ये कहानी कैसी लगी जरूर बताएं, आपके दिल को ठेस पहुंचाने का मकसद नहीं है मेरा। आपको कहानी अच्छी लगे तो अच्छा बुरा जो भी है कमेंट जरूर दें। 

मूल चित्र : naveen0301 from Getty Images via Canva Pro(for representational purpose only)

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