कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मुझे खुद के लिए लड़ना आता है…

“मैंने खुद से लड़ना है सीखा, मैं क्यों बनूँ हमेशा सीता?” आज की नारी कमज़ोर और लचार नहीं है, उससे अपने लिए लड़ना आता है। 

“मैंने खुद से लड़ना है सीखा, मैं क्यों बनूँ हमेशा सीता?” आज की नारी कमज़ोर और लचार नहीं है, उससे अपने लिए लड़ना आता है। 

हाँ जी अब मैं तैयार हूँ,
अब करती मैं पलटवार हूँ,
हाँ जी अब मैं तैयार हूँ।

ना कोई अब मुझे मारेगा,
और न कोई जला पायेगा,
अब कोई मुझे दहेज के लिए न घर से बाहर निकलेगा।

अब इन सब से बदले के लिए,
मैं बन गई एक हथियार हूँ।
हाँ जी अब मैं तैयार हूँ।

ना कोई कोख में मारेगा मुझे,
ना कोई बेशर्मी कर पायेगा,
हाथ तोड़ दूंगी उसके,
जो मुझको हाथ लगाएगा।

अब ऐसे राक्षसों के लिए,
मैं काली का अवतार हूँ,
हाँ जी अब मैं तैयार हूँ।

मैंने खुद से लड़ना है सीखा,
मैं क्यों बनूँ हमेशा सीता,
हर अग्निपरीक्षा क्यों पार करुँ,
क्यों अपने ऊपर वार सहूँ?

अब इन सब बातों के,
जवाब देने को तैयार हूँ।
हाँ जी अब मैं तैयार हूँ,
अब करती मैं पलटवार हूँ।

मूल चित्र: Via pixabay

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

6 Posts | 22,143 Views
All Categories