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आ दूर कहीं ले जांऊ तुझे, आ पलकों में छुपाऊं तुझे, जहां कोई न छू पाये तुझे, ऐ बेटी आ बचा लूँ तुझे।
ऐ बेटी आ बचा लूँ तुझे, आ आंचल में छुपा लूँ तुझे, ऐ बेटी आ बचा लूँ तुझे।
तेरी अस्मत के खरीदारों से, इन समाज के ठेकेदारों से, ऐ बेटी आ बचा लूँ तुझे।
तेरी रुह को नोचते दरिंदों से, और घर में छुपे पासिंदो से, ऐ बेटी आ बचा लूँ तुझे।
तेरे पल-पल जलते अंगों को, जीवन से उड़ते रंगों को, ऐ बेटी आ बचा लूँ तुझे।
मूल चित्र : Unsplash
ऐ वक़्त, ठहर जा ज़रा
धन्य हो तेरी यह काया! ऐ वीर! तुझे प्रणाम!
साथ समय के चल रही हूँ, ऐ ज़िंदगी तेरी कहानी मैं ख़ुद ही लिख रही हूँ
है तुझे भी इजाज़त, कर ले खुद से थोड़ी तू भी मोहब्बत!
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