कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

मैं ना रुकूंगी, मैं ना झुकूँगी

दुनियां का है कैसा ये खेल निराला, कमजोर को सब दबाये, मजबूत के चूमे कदम, दुनियां की ये कैसी अनोखी रीत, है जो बिलकुल बदरंग। 

दुनियां का है कैसा ये खेल निराला, कमजोर को सब दबाये, मजबूत के चूमे कदम, दुनियां की ये कैसी अनोखी रीत, है जो बिलकुल बदरंग। 

माना आज जिंदगी की तराजू में,
मेरा पलड़ा थोड़ा सा कम है,
फिर भी ना थक के हौसला टूटेने दूंगी,
ना डर के ये कदम रुकने दूंगी,
सशक्त बन दिखा दूंगी की मुझमें भी है दम।

दुनियां का है कैसा ये खेल निराला,
कमजोर को सब दबाये,
मजबूत के चूमे कदम,
दुनियां की ये कैसी अनोखी रीत,
है जो बिलकुल बदरंग।

ये सोच बदलने की सोच रखती हूँ,
हाँ, मैं दुनियां को जीतने का भी जोश रखती हूँ।

हाँ ! हूँ मैं आज ज़रा सी कम,
ना आंकना इससे मुझे निर्बल,
ना हौसला टूटने दूंगी,
ना क़दमों को रुकने दूंगी,
सशक्त बन दिखा दूंगी मुझमें भी है दम।

मूल चित्र: Sai Maddali via Unsplash

विमेन्सवेब एक खुला मंच है, जो विविध विचारों को प्रकाशित करता है। इस लेख में प्रकट किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं जो ज़रुरी नहीं की इस मंच की सोच को प्रतिबिम्बित करते हो।यदि आपके संपूरक या भिन्न विचार हों  तो आप भी विमेन्स वेब के लिए लिख सकते हैं।

About the Author

174 Posts | 3,896,989 Views
All Categories