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मां बनने के शुरुआती समय में बच्चे के सही आहार का ध्यान रखना मुश्किल होता है पर इन टिप्स से आपके बच्चे का खाना हो सकता है पोषण से भरा हुआ।
डिस्केमर : इस लेख में सामान्य जानकारी दी गई है। बच्चे के सही आहार के लिए पहले संबंधित चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
मां बनने के साथ ही एक महिला की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। शुरुआती समय में बच्चे की देखभाल उसकी भूख का ध्यान रखना थोड़ा मुश्किल होता है पर धीरे-धीरे हम अपने बच्चे का व्यवहार व उसकी क्रियाकलाप समझने लग जाते हैं।
बच्चे का खाने में शुरू के चार से छः महिने तक स्तनपान कराना लाभकारी होता है। साथ में डिब्बे का दूध भी कुछ महिलाएं उपयोग करतीं हैं।
चार से छः महीने बाद शिशु को ठोस आहार की आवश्यकता होती है, ताकि बच्चे को शारीरिक व मानसिक विकास के लिए पर्याप्त पोषण प्राप्त हो। अतः पहली बार बच्चे को किस प्रकार का ठोस आहार दें तथा कितनी मात्रा में, कितनी बार दे एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ठोस आहार की शुरुआत ब्रेस्ट मिल्क के साथ मिलाकर करें ताकि बच्चे इसे आसानी से पचा सके। 4 से 6 महीने के शिशु को प्रथम बार ठोस आहार देते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि उसे इन्हे पचाने में मुश्किल ना हो, वैसे तो 6 महीने के शिशु की पाचन व इम्यूनिटी सिस्टम धीरे-धीरे मजबूत होने लगता है और वह ठोस आहार पचाने में सक्षम होता जाता है।
इस समय बच्चे का खाना अगर आयरन युक्त हो तो, उचित माना जाता है। ठोस आहार की शुरुआत धीरे-धीरे तथा कम मात्रा में करनी चाहिए। फलों के साथ अगर हम ठोस आहार की शुरुआत करते हैं तो यह शिशु के पाचन के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। इसमें फैट की मात्रा कम तथा फाइबर की मात्रा अधिक होती है।
2. केले में उच्चतम मात्रा में फोलेट होता है जो कि बच्चों के दिमाग के लिए बहुत लाभप्रद है, इसीलिए इसे सुपर फूड भी कहा जाता है।
3. बच्चों को शकरकंद भी दे सकते हैं, इसे उबाल कर तथा छिलका उतारकर मसल कर मां के दूध में मिलाकर शिशु को दिन में दो से तीन बार दे सकते हैं। इसमें मौजूद बीटा कैरोटिन आंखों की रोशनी तेज होने के साथ-साथ इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक है।
4. चुकंदर को फोलिक एसिड का स्रोत माना जाता है जो कि शिशु के लिए पोषण तत्व से युक्त है। इसे उबालकर शिशु को दिया जा सकता है।
5. नाशपाती एक ऐसा फल है जिसे शिशु आसानी से पचा सकता है। इसमें मौजूद कैल्शियम व फास्फोरस बच्चे की हड्डी को मजबूती प्रदान करने में सहायक है। इसका छिलका व बीज निकालकर प्यूरी बना शिशु को खिलाया जा सकता है।
जब शिशु 7 से 8 माह का हो जाए तो उसे दही का सेवन करा सकते हैं। दही को कैल्शियम का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसका सेवन पाचन क्रिया को भी ठीक रखता है।
ठोस आहार खिलाने से पूर्व कुछ बातों का ध्यान रखना माताओं के लिए अति आवश्यक है। जैसे
एक विशेष बात का ध्यान रखना अति आवश्यक है कि शिशु को जबरदस्ती आहार का सेवन ना कराएं। बच्चे की प्रतिक्रिया को समझते हुए उसे आहार दें मुंह बंद करना तथा सिर घुमा लेने का तात्पर्य है की बच्चे का पेट भर चुका है।
बच्चे को ठोस आहार शुरू करने से पहले संबंधित चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें। चिकित्सक के अनुसार अपने बच्चे का आहार निर्धारित करें। उचित पोषण शिशु के विकास के लिए अति आवश्यक है। स्वस्थ शिशु स्वस्थ समाज का प्रतिरूप है।
मूल चित्र : paupop from Getty Images Signature via Canva Pro
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