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उम्र के ऐसे पड़ाव में मिली हो, पर मिली तो सही…

लड़खड़ाते कदमों से फिर हम जीत लेंगे जग ये तेरा- मेरा। इस पड़ाव में बन जीवन राही, आ हम भी तांके डूबते सूरज की परछाई।

लड़खड़ाते कदमों से फिर हम जीत लेंगे जग ये तेरा- मेरा। इस पड़ाव में बन जीवन राही, आ हम भी तांके डूबते सूरज की परछाई।

बालों में छाई सफ़ेदी,
गालों पर आई लकीरों में,
फिर से चमक आ रही है। 
तुमसे जो हुई मुलाक़ात,
वह अपना असर दिखा रही है।
दिल में छुपे अरमानों में एक अजीब-सी कसक पनप रही है। 

इश्क़ तरंगिणी कमज़ोर दिल में,
उठा रही तूफ़ान है,
हाँ मुझे हो रहा तुमसे प्यार है। 
इसका मुझे वह दे रही बार-बार एहसास है,
जिंदगी की रफ़्तार ने छीन लिया था मुझसे जो कभी,
आज वह मेरे दिल में दस्तक दे रही है। 

इश्क़ कहाँ जानता है गणित उम्र का?
यह अरमानों-एहसासों का खेल है,
जो अपने आप पनप रहा ये ऐसा मेल है।
जब बही तर इश्क़ में हवा,
दिल मेरा, दीवाना बना तेरा।
आज मैंने पाया उसे, छीन लिया था जिम्मेदारियों ने जो एहसास मेरा।


तुम आई हो हरियाली बन इस पतझड़ में,
यह भी सही।
एकांकी जीवन में लाई बहार यह भी सही।
आ पास मेरे रुसवाई से ना घबरा,
लड़कर फतेह की है जिंदगी की कई लड़ाई।

बेपरवाह हो पकड़ हाथ मेरा,
लड़खड़ाते कदमों से फिर हम जीत लेंगे जग ये तेरा-मेरा।
इस पड़ाव में बन जीवन राही,
आ! हम भी तांके डूबते सूरज की परछाई।

 

मूल चित्र: HyundaiIndia via Youtube

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