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सुबह से रात तक पूरे घर में चक्कर घिन्नी की तरह घूम जाती हूँ, सब को गर्म खाना खिला कर, खुद ठंडा खाती हूँ, पर मैं कुछ नहीं करती।
मैं एक हाउसवाइफ हूँ,
मैं कुछ नहीं करती।
सुबह सबके उठने से पहले उठ जाती हूँ,
पर मैं कुछ नहीं करती।
सुबह से रात तक पूरे घर में चक्कर घिन्नी की तरह घूम जाती हूँ
सब को गर्म खाना खिला कर, खुद ठंडा खाती हूँ,
तुम्हारी मेहनत की कमाई का पाई पाई बचाती हूँ
सबकी इच्छा के आगे अपनी इच्छा को मार जाती हूँ
सबको तैयार करते-करते खुद तैयार होना भूल जाती हूँ
एक-एक पाई बचाने के लिए खुद नौकरानी बन जाती हूँ
कितनी बड़ी विडंबना है,
मैं कुछ भी नहीं करती।
मूल चित्र : Pexels
जब मैं थक जाया करती हूँ तो खुद से कहती हूँ…
मैं तुम्हारी विधवा नहीं, मैं तुम्हारा प्रतिरूप हूँ…
सुनो! मैं भी इंसान हूँ…बिल्कुल तुम्हारी ही तरह!
रंजनी हूँ! मैं, अब सिर्फ मैं हूँ
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