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दूरदर्शन की गुलाब वाली सलमा सुल्तान याद है ना आपको!

काश गुलाब वाली सलमा सुल्तान दोबारा अपने उसी संजीदगी भरे लहज़े में न्यूज़ चैनल्स पर आकर खबरें देना शुरू कर दें तो आज खबरें इतनी डरावनी न लगें।

काश गुलाब वाली सलमा सुल्तान दोबारा अपने उसी संजीदगी भरे लहज़े में न्यूज़ चैनल्स पर आकर खबरें देना शुरू कर दें तो आज खबरें इतनी डरावनी न लगें।

न्यूज़ चैनल्स को लेकर आम जनमानस के बीच जिस प्रकार का आक्रोश इन दिनों देखने को मिल रहा है वह खबरों के राईट-लेफ्ट विंग झुकाव से अधिक इनके एंकर्स के अमर्यादित व्यवहार और आचरण को लेकर अधिक है। एक ही बात को हज़ार बार दोहराते, चीखते-चिल्लाते एंकर्स को देख कर लोग स्वयं को मानसिक रूप से अस्वस्थ अनुभव करने लगे हैं। बहुतों के घरों में तो न्यूज चैनल्स न देखने पर रजामंदी हो गई है। ऐसे समय पर जहां न्यूज़ चैनलों पर तर्क-कुतर्क करने वाले प्रवक्ताओं के बीच पूरा दिन बहस छिड़ी रहती है।

सलमा सुल्तान का वो निष्पक्ष होकर खबरें  पढ़ना

वहीं इन तमाम खबरिया चैनलों के ऐंकरों को देख कर भी लगता है कि वक्त आ गया है कि दूरदर्शन की पुरानी न्यूज रीडर सलमा सुल्तान जी को भी ढूंढ कर लाया जाए ताकि फिर से एक बार खबरें केवल खबरों की तरह ही पेश की जा सकें। इनमें अपनी-अपनी मन मर्जी से मुद्दों को हवा देने का जो कुत्सित प्रयास किया जा रहा है, उस पर भी थोड़ी लगाम लगे।

आज जहां न्यूज एंकर्स खबरों के बीच किसी न किसी राजनैतिक दल की ओर झुकाव रखकर खबरें बताते हैं वहां सलमा सुल्तान का वो निष्पक्ष होकर खबरे पढ़ना एक अलग ही दुनिया में ले जाता था।
तब खबरें देखकर मन अवसाद से नहीं भरता था बल्कि सलमा जी की खबरें देखकर मन गुलाब सा महक उठता था। आज भी जब भी कहीं गुलाब का जिक्र होता है तो मेरी आंखों के सामने गुलाब शब्द को लेकर दूरदर्शन की समाचार वाचिका सलमा सुल्तान के काले, लंबे, स्ट्रेट बालों में लगा वो बड़ा सा खूबसूरत गुलाब बरबस ही तैर जाता है।

पूरा देश टकटकी बांध कर सलमा सुल्तान के समाचार देखते

मेरे लिए तो बस, गुलाब यानि सलमा सुल्तान के कानों के पीछे से झाकंता, वो बालों में टंका फूल। सलमा सुल्तान का व्यक्तित्व भी मुझे बिल्कुल ताजे गुलाब जैसा ही लगा हमेशा से। मैं तब 6 साल की थी और अब तक याद है जब वो दूरदर्शन पर समाचार पढ़ा करती थीं। उस समय हमारे घर में टेलीविजन भी नहीं था, पड़ोस के घर जाकर समाचार देखने कम और शायद सलमा सुल्तान को देखने मैं ज्यादा जाया करती थी और जाने कब वो गुलाब वाली सलमा मेरे दिल में उतर गई, कह नही सकती।

तब समाचार पढ़ना एक गंभीर और जिम्मेदारी भरा काम हुआ करता था। सलमा सुल्तान की बॉडी लैंग्वेज, सधी हुई भाषा, चेहरे के आर्कषक भाव, धीर गंभीर, खनकती आवाज़ पूरा देश इनका दीवाना था और टकटकी बांध कर उनके समाचार देखा करता था।

सलमा सुल्तान का वो यादगार गुलाब का किस्सा

Dream Traders चैनल को दिए एक इंटरव्यू में सलमाजी ने बताया, “गुलाब मुझे बहुत पसंद है, और तब टीवी का नया नया जमाना था, हम खूबसूरत दिखने के लिए नए नए तजुरबे करते थे कि कौन सी चीज अच्छी लगेगी, क्या लगाएं कि और अच्छे दिखें, कैसी साड़ी पहनें और क्योंकि मेरे बागीचे में बहुत सारे गुलाब थे, तो एक दिन मैंने पिंक साड़ी पहनी और एक पिंक गुलाब बालों में लगा लिया। एकदम नार्मल तरीके से ही न्यूज पढ़कर घर आ गई, लेकिन इसका रिएक्शन बहुत ज़बरदस्त आया। मेरी तारीफ में कई टेलीफोन और लैटर आए। अगले दिन फिर दूसरे रंग का गुलाब लगा लिया। फिर एक दिन जब गुलाब नहीं लगाया तो उस दिन वो गुलाब न लगाना मेरे लिए एक मुसीबत हो गया। फोन और लेटर्स की बाढ़ आ गई कि मेैंने आज गुलाब क्यों नहीं लगाया? बस फिर उस दिन से मेरे बालों में गुलाब हमेशा सजता रहा।”

गुलाब वाले किस्से के चलते मुझे सलमा सुल्तान जी के बारे में और अधिक जानने की इच्छा हुई तो मैंने गूगल करना शुरू किया और जो कुछ जानकारी हमें मिली, उसे आपके साथ साझा करने का मन हुआ क्योंकि मैं जानती हूं कि सलमा जी हम सभी की बेहद पसंदीदा वाचिका रही हैं।

उन्होंने 23 साल की उम्र में न्यूज़ रीडर के लिए ऑडिशन दिया था

सलमा सुल्तान का जन्म 16 मार्च 1947 को हुआ था। उनके पिता मोहम्मद असगर अंसारी, कृषि मंत्रालय में सचिव और विद्वान थे। सलमा की एक बड़ी बहन मैमूना सुल्तान (भोपाल से चार बार कांग्रेस सांसद) हैं। सलमा और मैमुना अफगानिस्तान के शाह शुजा की परपोती थीं। सलमा ने अपनी स्कूलिंग मध्य प्रदेश के सुल्तानपुर से की और अपनी स्नातक की पढ़ाई भोपाल से की। उन्होंने अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन अंग्रेजी में इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमन, दिल्ली से की और साथ ही साथ उन्होंने 23 साल की उम्र में दूरदर्शन पर एक न्यूज रीडर के लिए ऑडिशन दिया और चुन ली गईं।

उस दौर में प्रतिमा पुरी और गोपाल कौल दूरदर्शन में न्यूज पढ़ने वाले नियमित चेहरे थे, जिन्होंने 15 सितंबर 1959 को अपना परिचालन शुरू किया। दूरदर्शन ने 1965 में 5 मिनट का समाचार बुलेटिन शुरू किया। सलमा सुल्तान ने दूरदर्शन पर इंदिरा गांधी की हत्या की पहली खबर दी थी।

सलमा सुल्तान एक निर्देशक के रूप में

अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, सलमा सुल्तान अपने प्रोडक्शन हाउस ‘लेन्सव्यू प्राइवेट लिमिटेड’ के तहत दूरदर्शन के लिए सामाजिक विषयों पर धारावाहिकों का निर्देशन करने चली गईं। उनके धारावाहिक पंचतंत्र से, ‘सुनो कहानी’, ‘स्वर मेरे मन के’ और ‘जलते सवाल’ ने ध्यान आकर्षित किया। 1989 में महाभारत के तुरंत बाद पंचान्तर सी का प्रसारण हुआ करता था और इसने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। जलते सवाल महिलाओं के मुद्दों पर एक धारावाहिक था, जिसे 2004 में डीडी न्यूज पर 11 से 14 जनवरी को प्रसारित किया गया था।

सलमा जी का व्यक्तिगत जीवन

सलमा सुल्तान के पति आमिर किदवई थे, जिन्होंने इंजीनियर्स इंडिया (ईआईएल) के लिए काम किया था। सलमा एक आयकर आयुक्त साद किदवई और कोरियोग्राफर बेटी सना की मां हैं। सलमा के दो पोते हैं। साद किदवई ने गेटी खान किदवई से शादी की, जो एक डिजाइनर हैं और उनके दो बच्चे हैं – समर और मेहर। साद और गेटी अब बीआरएस नगर, लुधियाना में बसे हैं।

सलमा जी ने 1967 से 1997 , 30 वर्षों तक दूरदर्शन में एक एंकर के रूप में काम किया। वह अब दक्षिण दिल्ली के जंगपुरा इलाके में रहती है। वे अभी ‘Saree Sanskriti by Salma Sultan नाम से क्लॉथिंग ब्रांड चला रही हैं।

तो ये थी एक गुलाब वाली सलमा सुलतान की कुछ महकती हुई गुलाबी यादें! वो सलमा जिन्होंने खबरों को खबरों की तरह ही पेश किया। काश वे दोबारा अपने उसी संजीदगी भरे लहज़े में चैनल्स पर आकर खबरें देना शुरू कर दें तो खबरें इतनी डरावनी न लगें।

मूल चित्र : YouTube

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