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बिंदी!

सुनो, तुम न, गोल बिंदी लगाया करो - बिंदी में बसे प्रेम की उपस्थिति किसी भी रंग, रूप, स्थान और परिस्थिति की मोहताज नहीं होती!

सुनो, तुम न, गोल बिंदी लगाया करो – बिंदी में बसे प्रेम की उपस्थिति किसी भी रंग, रूप, स्थान और परिस्थिति की मोहताज नहीं होती!

सुनो,
तुम न, गोल बिंदी लगाया करो,
और तुम मैचिंग,
तुम बस लाल,
तुम लंबी,
तुम छोटी,
तुम चौकोर,
तुम दो बिंदी मिलाकर लगाना,
तुम माथे पर थोड़ा ऊपर लगाना,
तुम भंवों के बीच,
और तुम बड़ी बिंदी के नीचे,
एक छोटी बिंदी जरूर लगाना,
वाली हिदायतों से शुरु हुआ और
अब तुम बिंदी मत लगाना पर खत्म हुआ सफर
माथे से अधिक हृदय सूना करता है।

बिंदी में बसे प्रेम की उपस्थिति
किसी भी रंग, रूप, स्थान
और परिस्थिति की मोहताज नहीं होती।

मूल चित्र: Eleatell via pixabay

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