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आँखों की नमी को फिर पोंछ लिया है, लबों को आज फिर मुस्कुरा लिया है। छोड़कर सारी चिंताएँ ज़िंदगी को आज फिर गले लगा लिया है।
दिल के टुकड़ों को आज फिर संजों लिया है, धड़कनों को थमने से आज फिर रोक लिया है।
ख़ुशी के उन लम्हों को आज फिर याद कर लिया है, कमजोर पलों को फिर मज़बूत कर लिया है।
आँखों की नमी को फिर पोंछ लिया है, लबों को आज फिर मुस्कुरा लिया है।
दर्द को आज फिर गहराइयों में दफ़न कर लिया है, एकबार फिर आशाओं का ख़्वाब बुन लिया है।
छोड़कर सारी चिंताएँ ज़िंदगी को आज फिर गले लगा लिया है।
मूल चित्र : Pexels
हां! मैंने खुद से मुहब्बत करना सीख लिया है…
आज फिर-तुझे याद है ना माँ
दोस्ती – एक अनोखा रिश्ता
लड़कियों के साथ होने वाले हर अपराध का कारण लड़कियों को ही क्यों माना जाता है?
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