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शादी के वक़्त कई औरतें अपने सपने को बीच में ही रह जाते हैं, फिर घर-पति-बच्चों के बीच वे सपने कहीं दफ़न हो जाते हैं, लेकिन ये ना सोचें कि अब देर हो गयी...
शादी के वक़्त कई औरतें अपने सपने को बीच में ही रह जाते हैं, फिर घर-पति-बच्चों के बीच वे सपने कहीं दफ़न हो जाते हैं, लेकिन ये ना सोचें कि अब देर हो गयी…
गरिमा दो बच्चों की माँ थी। बेटा सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और मुम्बई में रहता है। छोटी बेटी रिया कॉलेज के अंतिम वर्ष की छात्रा है। दोनों बच्चे बड़े हो गए थे, शादी के 30 साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला।
जब शादी हुई तब गरिमा फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही थी। बड़े बेटे सतीश का जन्म शादी के एक साल बाद ही हो गया। पति ऑफिस के काम से अक्सर टूर पर होते थे इसलिये सारे घर की जिम्मेदारी और बच्चों की परवरिश गरिमा अकेले ही सम्भालती थी।
बेटे के जन्म के बाद उसे अपना कोर्स बीच में ही छोड़ना पड़ा। ये उसका खुद का फैसला था, वो नहीं चाहती थी कि बच्चे माँ के प्यार से वंचित रहें और आया के भरोसे पलें। गरिमा पूरी तरह से बच्चों की परवरिश में व्यस्त हो गई।
आज जब उसके दोनों बच्चे अपने जीवन में सफल हो गए है तो आज उसे अपने जीवन में बहुत अकेलापन महसूस होने लगा है क्योंकि बेटा बाहर रहता है और बेटी अपने कॉलेज की पढ़ाई में बिजी है। गरिमा को समझ नहीं आ रहा था कि वो अपने अकेलेपन को कैसे दूर करे।
अपनी माँ को हमेशा उदास देखकर बेटी रिया बहुत परेशान हो गई| वो हमेशा माँ से कहती कि माँ आप अब फ्री हो कुछ करती क्यों नहीं? गरिमा हमेशा यही कहती कि अब इस उम्र में मैं क्या करुँगी?
“आप अपना कोर्स (फैशन डिजाइनिंग) पूरा क्यों नहीं कर लेती? अब तो आपके पास समय भी है और घर परिवार की टेंशन से भी फ्री हो”, रिया ने माँ से कहा।
गरिमा को अपना सपना जो दिल के किसी कोने में खो सा गया था याद आ गया। घर परिवार की जिम्मेदारी और बच्चों की परवरिश में इतनी खो गई थी कि वो अपना डिजाइनर बनने का सपना भूल ही गई थी। लेकिन अब जब समय मिला है तो अब जिंदगी में बचा ही क्या है, उम्र भी 50 होने को आई है। इस उम्र में पढ़ना ठीक रहेगा? लोग क्या कहेंगे? बुढ़ापे में पढ़ाई का भूत चढ़ा है।
रिया को माँ की चिंता समझते देर न लगी। लोगों को जो सोचना है सोचने दो सपने पूरे करने की कोई उम्र नहीं होती। आप मेरे कॉलेज में ही अपना कोर्स कर सकती हैं। आपको ज्यादा परेशानी भी नहीं होगी। आप मेरे साथ ही कॉलेज चल लिया करना।
रिया की बात सुनकर मानो गरिमा को जैसे नई जिंदगी मिल गई। अपना डिजाइनर बनने का सपना जो उसने बच्चों की परवरिश के लिए छोड़ दिया था आज उसे दोबारा मिल गया था और मन में सुकून भी था कि आज अपने लिये भी कुछ कर सकेगी।
हर महिला शादी के बाद अपने सपनों को बच्चों की परवरिश के चलते त्याग देती है, लेकिन जब बच्चे बड़े और समझदार हो जाते हैं तो ज़िंदगी दोबारा मौका देती है अपने सपनों को पूरा करने का।
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धन्यवाद
मूल चित्र : Canva
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