कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

Babita Kushwaha

Devoted house wife and caring mother... Writing is my hobby.

Voice of Babita Kushwaha

मैं बच्ची बन जाती हूं…

सुने पड़े आँगन की बगिया महक जाती हैं, तेरे आते ही घर में रौनक सी आ जाती हैं, सुनकर माँ-पापा की इन बातों को, उनसे लिपट जाती हूं।

टिप्पणी देखें ( 0 )
बहु भी बेटी बन सकती है…

वो भी तुम्हे माँ की ही तरह प्यार और सम्मान देगी, पराये घर की उस बेटी को कभी गले लगा कर तो देखो, दूसरे घर की लाड़ली को अपना बना कर तो देखो...

टिप्पणी देखें ( 0 )
भाभी ये गुलाबी साड़ी आपके लिए है…

अरे बहु तेरे पास तो कितनी एक से बढ़कर एक मंहगी साड़ियां हैं। अभी सीमा की शॉपिंग ज्यादा जरूरी है, बाद में बजट रहा तो देखेंगे।

टिप्पणी देखें ( 0 )
तुम्हारी बहु के तो कुछ ज़्यादा ही नाटक हैं…

सास हो या ननद किसी का भी रमा के बगैर दिन नहीं  गुजरता था या यूं कहें कि रमा के आने के बाद शुक्ला परिवार में कुछ ज्यादा ही बहार आ गई थी।

टिप्पणी देखें ( 0 )
बात सिर्फ जेवर की नहीं हमारे हक की भी है…

नए जोड़े को कुछ दिन बाद हनीमून के लिए जाना था तो शीला जी छोटी बहू से बोलीं, "बहु जाने से पहले गहने मुझे दे कर जाना मैं संभाल कर रख दूँगी।"

टिप्पणी देखें ( 0 )
दुल्हन बनने का ख्वाब वह कब का छोड़ चुकी थी, पर किस्मत…

पर माँ बाप कहाँ मानने वाले होते हैं? कन्या दान किये बिना तो मोक्ष कैसे मिलेगा और बेटी के हाथ पीले किये बिना बूढ़े माँ बाप मरना नहीं चाहते थे।

टिप्पणी देखें ( 0 )
अपनी बहु से कह दो सूट नहीं साड़ी पहने…

काम के बीच चाचा ससुर की बेटी रमा के पास आकर बोली, "भाभी, पापा बहुत गुस्सा हो रहे हैं। बोले बहु से कह दो कि साड़ी पहन ले।"

टिप्पणी देखें ( 0 )
आज जब आँख खुली तो एक नयी सुबह मेरा इंतज़ार कर रही थी…

देखो अब ज्यादा बहाने न बनाओ, जरा बाहर तो देखो, ऐसी सुबह तो आज पहली बार दिल्ली जैसे बड़े शहर में देखने को मिली है।

टिप्पणी देखें ( 0 )
इंतज़ार आज भी…

जब राजेश पहुँचा तो घर पर ताला था। पड़ोसियों ने बताया की वो दो दिन पहले ही किसी को बिना कुछ बोले और बताए घर खाली करके और पूरा सामान लेकर जा चुके हैं...

टिप्पणी देखें ( 0 )
मैं अपने पिता के खातिर बेटी नहीं बेटा बनना चाहती थी…

जब नीलू को अपने पापा की बहुत याद आती तो, उसे लगता कि काश वो लड़का होती तो वो भी अपने पिता की सेवा कर पाती, लेकिन शाम को कुछ ऐसा हुआ कि वो ख़ुशी से चहक उठी...

टिप्पणी देखें ( 0 )
और मैंने अपनी दोस्त की ज़िंदगी में रोशनी भरने की ठान ली…

आज मुझे आप सब को ये बताते हुए ख़ुशी महसूस हो रही है कि हम दोनों का रिश्ता आज भी कॉलेज के दिनों जैसा है, ईश्वर ने मेरी दोस्त को मुझे फिर लौटा दिया!

टिप्पणी देखें ( 0 )
अपने सपनों के बीच अपनी उम्र के बंधन को ना आने दें…

शादी के वक़्त कई औरतें अपने सपने को बीच में ही रह जाते हैं, फिर घर-पति-बच्चों के बीच वे सपने कहीं दफ़न हो जाते हैं, लेकिन ये ना सोचें कि अब देर हो गयी...

टिप्पणी देखें ( 0 )
शादी के लिए बेटे की पसंद ज़रूरी है या आपकी?

मोना को लगता था कि अगर रवि अपने पसंद की लड़की से शादी करेगा तो वो उनकी इज्जत नहीं करेगी और रवि भी सिर्फ अपनी पत्नी की सुनेगा।

टिप्पणी देखें ( 0 )
हमारे मन चाहे कितने भी काले हों, पर बहु तो हमें गोरी ही चाहिए…

आखिर ऐसा क्या है जो हम गोरे रंग के ही पीछे भागते हैं? क्यों लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को काली रंगत से ज्यादा अपमान सहन करना पड़ता है?

टिप्पणी देखें ( 0 )
क्यों बहु को बेटी बोलना आसान है, लेकिन उसको बेटी बनाना मुश्किल?

हमारे समाज में आज सभी ससुराल वाले यही कहते हैं कि हम बहु को बेटी की तरह रखते हैं, फिर क्यों कदम-कदम पर उन्हें ये एहसास दिलाया जाता है कि तुम बेटी नहीं बहु हो।

टिप्पणी देखें ( 0 )

The Magic Mindset : How to Find Your Happy Place

अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!

Women In Corporate Allies 2020

All Categories