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शादी के सीज़न की धूमधाम के बीच अदाकारा, निर्माता-निर्देशक आशा पारेख ने अविवाहित रहने के अपने फैसले के बारे में खुलकर बात की और वे हमारे लिए एक प्रेरणा हैं।
अनुवाद : पल्लवी वर्मा /प्रगति अधिकारी
इस फेमिनिस्ट युग में, फिल्म अभिनेत्री, निर्देशक और निर्माता आशा पारेख नेवरव मैगज़ीन के साथ एक साक्षात्कार में सिंगल रहने के अपने फैसले के बारे में बात की। आशा पारेख उस युग में जन्मी थीं, जहां शादी एक महिला के लिए अंतिम लक्ष्य था। उस ज़माने के सन्दर्भ सामाजिक दवाब के बावजूद, उनका ये निर्णय बेहद निर्भीक, स्पष्ट और अप्रत्याशित था जिसके बारे में वे 77 वर्ष की होने पर भी बात करती हैं।
आशा पारेख ने भले ही शादी ना की हो मगर उनका कहना है कि वह रोमांटिक रिश्तों के खिलाफ नहीं है। अपनी किताब, द हिट गर्ल , में वह अपने पूर्व सह-कलाकारों की यादें ताज़ा करती हैं। उन्होंने नासीर हुसैन के लिए अपने सॉफ़्ट कॉर्नर को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया। वे एकमात्र पुरुष थे जिनसे उन्होंने प्यार किया।
हालाँकि, उनसे प्यार करना उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य नहीं था क्यूंकि ये प्यार था कोई जूनून नहीं। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने फिल्म निर्माता नासिर हुसैन का साथ अपने रिश्ते को क्यों नहीं बढ़ाया, तो उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि मैंने द हिट गर्ल में मैंने स्वीकार किया है कि मैं नासिर हुसैन को चाहती थी, लेकिन मैं उनसे प्यार करती थी और मैं उनके परिवार को तोड़ना और उनके बच्चों को आघात पहुँचाना नहीं चाहती थी। उससे कहीं ज़्यादा सरल और संतोषजनक था अपने आप में रहना और अपने साथ रहना। ‘मैं शादी नहीं करना चाहती थी’ ऐसा कहना गलत होगा।
अपने सह-कलाकार, राजेश खन्ना और विनोद खन्ना के निजी जीवन से उदाहरण ले कर वे कहती हैं कि जब इन दोनों के रिश्ते, अपनी गर्ल-फ्रेंड्स के साथ, सिर्फ इसलिए खराब होने लगे, क्यूंकि वे देर रात तक घर नहीं पहुंचते थे, तभी आशा पारेख ने मन बना लिया कि वे शादी नहीं करेंगी। उन्हें कोई हर वक़्त रोके-टोके ये उन्हें बिलकुल मंज़ूर नहीं था।
लव इन टोक्यो की अदाकारा के उन्मुक्त शब्द हमें ‘शादी की ज़रुरत’ पर सोचने को मजबूर करते हैं। अब आप ज़रूर सोच रहे होंगे, ‘बुढ़ापे में मैं बिना सहारे के खुद का ध्यान कैसे रखूंगी?’ मगर इससे शादी की आवश्यकता तो साबित नहीं हो जाती।
वैसे भी हमेशा समझौता करना और किसी ऐसे व्यक्ति पर निर्भर होना, जिसके साथ आपका ताल-मेल नहीं बैठता, आपको कोई ख़ुशी नहीं देगा। “समय और परिस्थितियाँ सब कुछ हैं। जो होना है, उसे आप रोक नहीं सकते, और जो किस्मत में नहीं है, वो होगा नहीं।”
आश्चर्य की बात ये है कि आज भी, लड़के और लड़कियों, दोनों पर, 25 साल की उम्र से पहले ही शादी करने के लिए दबाव डाला जाता है। विवाह हमारी संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग रहा है।
सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा से लेकर, पारिवारिक अपेक्षाएं और यहां तक कि प्रेम के लिए भी, विवाह संस्कृति का अनिवार्य हिस्सा माना जाता हैं। लेकिन, शादी में हमारी सहमति होनी चाहिये, इसमें हमारी मर्ज़ी होनी चाहिए।
आशा पारेख काफी बहादुर हैं, जो अपनी ज़मीन से जुड़ी हैं और वे अपने फैसले पर अडिग रहीं, अपनी माँ के उनकी शादी कराने के भरपूर प्रयास के बावजूद। लेकिन फिर भी वे आज सफल हैं, खूबसूरत हैं और खुश हैं।
हमें आज एक ऐसी दुनिया की ज़रूरत है, जहां शादी न करने का विकल्प किसी भी महिला की स्वतंत्रता को कम ना करे। उसका अविवाहित रहना दूसरों की ख़ुसर-फ़ुसर का विषय न बने। फिर चाहे वो अपने घर में अकेली रहे या कुत्ते-बिल्लियों के साथ, किसी को क्या?
शादी करना हमेशा एक विकल्प होना चाहिए, न कि एक आवश्यकता। नारीवाद उन सभी विकल्पों के बारे में है जो हम चुनते हैं, न कि उन रिश्तों या भूमिकाओं के बारे में जो हम मजबूरी में निभाते हैं।
मूल चित्र : Google
An English literature student with a love for reading and writing, and who chills tucked
मेरे लिए शादी सिर्फ एक रिवाज़ या बंधन नहीं…
समलैंगिक विवाह को विवाह अधिनियम में शामिल करने पर ज़ल्द आयेगा फैसला
‘माँ’ के साथ-साथ अपने ‘मैं’ को ज़िंदा रखने का हुनर मैंने आशा से सीखा
अब बस! बेटी शादी करेगी तो अपनी मर्ज़ी से…
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