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दोस्ती:रिश्तों की भी कोई मर्यादा होती है

पलक ने झटके से अपना हाथ पीछे खींच लिया। उसे रोहन का स्पर्श कुछ अटपटा सा लगा।

पलक ने झटके से अपना हाथ पीछे खींच लिया। उसे रोहन का स्पर्श कुछ अटपटा सा लगा।

पलक पार्लर में तैयार हो रही थी, तभी उसकी बहन जूही दौड़ी-दौड़ी आई, “पलक जल्दी करो, जीजू बारात लेकर दरवाज़े पर आ भी गए हैं।”

“अरे इतनी जल्दी आ गई बारात, मैंने तो सुना था दिल्ली की बारात 11 बजे से पहले नहीं आती,” पार्लर वाली ने हँसते हुए कहा। “तुम चलो मैं तुम्हारी बहन को जल्दी तैयार करती हूँ।”

मयंक का स्वागत हुआ। वो स्टेज पर बैठा हुआ पलक के आने का इंतज़ार कर रहा था। पलक बहुत ही सुंदर थी, तभी तो मयंक ने पहली ही बार मे उसे पसंद कर लिया। पलक के मुकाबले मयंक एक साधारण रूप-रंग का लड़का था, पर बहुत ही सुशील और साफ-दिल का एक सरकारी कंपनी में इंजीनीयर।

जयमाला की रस्म शुरू होने को थी। कुछ ही देर में पलक स्टेज की तरफ आ गई। उसका रूप बहुत ही निखर कर आया था और हर कोई उसे देखकर यही कह रहा था, “भाई दुल्हन तो बहुत सुंदर है। दूल्हे के तो भाग्य खुल गए। ”

पलक ने जैसे ही स्टेज पर कदम रखा, मयंक उसे देखकर मुस्कुरा दिया, पलक भी शरमा गई। तभी मयंक के पास खड़ा उसका एक बहुत ही हैंडसम दोस्त बोला, “भाभी जी आप को बहुत सीधा और सच्चा बंदा मिला है।”

पलक और मयंक ने एक दूसरे के जयमाला डाली। मयंक का दोस्त दोनों के बीच मे फ़ोटो खिंचवाने बैठ गया। उसने पलक के हाथ के ऊपर हाथ रखकर कहा, “कॉनग्रेचुलेशन्ज़ भाभी जी।”

पलक ने झटके से अपना हाथ पीछे खींच लिया। उसे उस लड़के का स्पर्श करना कुछ अटपटा सा लगा।

पूरी शादी में वो लड़का मयंक के साथ ही रहा। विदा की घड़ी भी आ गयी। पलक ने देखा कि मयंक का वही दोस्त ड्राइव कर रहा है। उसने गाना ऑन किया, “तेरे चेहरे में वो जादू है, तेरी ओर खिंचा जाता हूँ।”

पलक को उसका व्यवहार बहुत ही अटपटा लग रहा रहा था।

पलक ससुराल आ गयी। उसका स्वागत पूरे रीति-रिवाज से हुआ। रात हो गयी और वो अपने कमरे में बैठी थी। मयंक भी आ गया।

दोनों की अरेंज्ड मैरिज थी, इसलिए दोनों ही एक दूसरे से सकुचा रहे थे।

थोड़ी देर में पलक ने हिम्मत कर के पूछा, “वो कौन था जो आपके साथ-साथ था?”

“अरे, तुम रोहन की बात कर रही हो। वो तो मेरा बचपन का दोस्त है। हम साथ पढ़े हैं, और वो भी मेरे आफिस में ही मेरे साथ इंजीनीयर है। बिल्कुल भाई जैसा है मेरा।वो हमारे घर के सदस्य जैसा है, बस थोड़ा मज़ाकिया है, पर दिल का बहुत अच्छा है।”

“पर मुझे वो कुछ सही नहीं लगा पलक ने मयंक से कहा।”

“अरे, तुम बेकार ज़्यादा सोच रही हो, रोहन ऐसा नहीं है तुम चिंता मत करो।” पलक भी मयंक की बात मान कर चुप हो गयी।

पलक की शादी को एक महीना हो गया था। आज होली का त्यौहार था। अपने साजन के साथ पहली होली पलक बहुत ही रोमांचित कर रही थी। घर की छत पर होली खेलने का इंतज़ाम था। रंग, गुलाल, डी जे और पकवान, सभी का इंतज़ाम किया गया था। बहु की पहली होली थी इसलिए पलक के घरवालों को भी बुलाया गया था।

सभी खूब मस्ती में थे। पलक ने चुपके से मयंक के गालों को गुलाल से रंग दिया। मयंक भी उसे रंग लगाने को दौड़ा पलक भागी और भागते-भागते एक नशे में धुत लड़के से टकरा गई।

“सॉरी भईया।”

“अरे सॉरी किस बात की भाभी जी, आज तो आप बहुत गज़ब ढा रही हो।” होली मुबारक कह के उसने पलक को बाहों में जकड़ लिया और गाल पर किस कर दिया।

पलक एकदम चिल्लाई, “बदतमीज़ लड़के छोड़ो मुझे।”

तभी मयंक दौड़ता हुआ आया, “अरे पलक क्या हुआ? डरो नहीं ये तो अपना रोहन है।”

पलक ने एक ज़ोरदार थप्पड़ रोहन के गाल पर जड़ दिया। चारों ओर सन्नाटा छा गया। मयंक भी अवाक रह गया।

“शर्म नहीं आती आपको! मज़ाक की भी हद होती है। एक सच्चे दोस्त की पत्नी के साथ ऐसा व्यवाहर! छिः ! घिन आती है आपकी परवरिश पर।”

“आपने अपने दोस्त से कुछ नहीं सीखा?” पलक गुस्से में बोले जा रही थी।

“रहने दो पलक। रोहन को माफ कर दो।”

“ये वैसा नहीं है जैसा तुम समझ रही हो मैं इसे बचपन से जानता हूँ,” मयंक बोला।

“मयंक तुम जानते नहीं, इसने शादी वाले दिन भी मेरे साथ गलत हरकत की थी। तब मैं चुप रही।”

“एक लड़की नज़रों से समझ जाती है कि कोई उसको किस नज़र से देख रहा है? फिर आज तो इसने हद ही कर दी। रिश्तों की भी कोई मर्यादा होती है। हर इंसान को अपनी हद में रहना चाहिए।”

“मयंक किसी पर भी आंख बंद करके विश्वाश नहीं करना चाहिए। दोस्ती अपनी जगह है पर किसी भी दोस्त को ये अधिकार नहीं कि वो किसी की पत्नी को गलत नज़र से देखे। अपनी पत्नी की बातों पर भी ध्यान देना चाहिए। किसी भी बात को हल्के में नहीं लेना चाहिए, और ना ही अपने दोस्त पर अंधा-विश्वाश करना चाहिए।”

आज मयंक को अपनी पत्नी की बातों से ये सबक मिल गया था कि अपने दोस्तों को ज़्यादा छूट नहीं  देनी चाहिए। दोस्तों पर अंधा-विश्वाश आपके घर का विनाश कर सकता है।

मूलचित्र : Pixabay 

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Antima Singh

13 वर्ष की उम्र से लेखन में सक्रिय , समाचार पत्रों में कविताएं कहानियां लेख लिखती हूँ। एक टॉप ब्लागर मोमस्प्रेसो , प्रतिलिपी, शीरोज, स्ट्रीमिरर और पेड ब्लॉगर, कैसियो, बेबी डव, मदर स्पर्श, और न्यूट्रा लाइट जैसे ब्रांड्स के साथ स्पांसर ब्लॉग लिखती हूँ मेरी कहानियां समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए होती है रिश्तों के उतार चढ़ाव मेरे ब्लॉग की मुख्य विशेषता है read more...

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