कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
कैसे ढूंढें ऐसा काम जो रखे ख्याल आपके कौशल और सपनों का? जुड़िये इस special session पर आज 1.45 को!
बीता वो पतझड़, मैं बसंत बन खिल आई हूँ, रूबरू रोशनी नई, आज ख़ुद चाँद बन, बादलों को चीर निकल आई हूँ।
नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
हर घर की कहानी हूँ मैं दरिया की रवानी हूँ मैं मैं सम्मान हूँ तेरे निकेतन का मैं रौनक हूँ तेरे आँगन की मुझे गर्व है मेरे अश्तित्व पर नाज़ है मुझे मेरे होने पर जिस आईने में ख़ुद को तलाशे, वही वज़ूद हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
मेरी ही कोख़ से जन्मा है तू मेरे ही साए में पला है तू मेरा ही हिस्सा है तू कैसे बदलेगा ये किस्सा तू जान ले पहचान ले ये ज़ीवन तेरा एक उपहार है मान ले अब ये भी मेरा तुझ पर एक आभार है जिस मिट्टी से बनी है तेरी काया, वही धरा हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
मुझे कैसे मिटाएगा तू बहती हवा हूँ, शीशे में कैसे क़ैद कर पाएगा तू झूठा तू अहम् ना कर कौरवों सा घमंड ना कर पल में हो जाएगा ये वहम चूर कब तक रखेगा स्वयं को सच्चाई से दूर जिस बल पर है खड़ा तू, वही आदि-शक्ति हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
राख कर दे तन मेरा फिर धुँआ बन उठ जाऊँगी डोर मेरी काट दे मंज़िल से जा टकराऊँगी आशियाना छीन ले जा दवात में ही बसेरा बसाऊँगी मैं आग ना सही, स्याही से ही अँगारे बरसाऊँगी मैं जिस ताप में झोंका मेरे अरमानों को कई बार, वही अग्नि हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
मुझे रोक ले लाख़ ये जहाँ पैरों में बाँध ले बेड़ियाँ हज़ार मेरे कलम से निकले शब्दों को, बाँधने की है ताक़त कहाँ आँखों में सपने इतने बोये, निंदिया पिरोने की जगह कहाँ खड़ा हुआ हिमालय सा जोश मेरा दुल्हन बन निकला आज, बन-ठन संकल्प मेरा अपने आप को ख़ुद से, मिलाने का ठान आई हूँ मैं जिसकी हर नज़र को है खोज, वही मंज़िल हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
मुझे रोकेगा क्या ये ज़माना अब चिंगारी तूने भरी है अब धमाका होने से रोकेगा कौन मुझे ख़त्म कर विनाश कर मेरा पर मेरे ख़्वाबों की बलि कैसे तू चढ़ाएगा सोचता क्या है, सोच में ही रह जाएगा बदल ये सोच अपनी, नहीं तो एक सोच बन रह जाएगा जिस की करता है आराधना तू, वही मूरत हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
नाम इतने मेरे पर पहचान कहाँ खोया हुआ चाँद, है सर पर आसमान कहाँ बीता वो पतझड़ मैं बसंत बन खिल आई हूँ रूबरू रोशनी नई आज ख़ुद चाँद बन बादलों को चीर निकल आई हूँ जिस से है रोशन तेरी दुनिया, वही रश्मि हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
दर्द का समंदर था सीने में आज उमीदों की लहरों पर हो सवार यक़ीन है ख़ुशियों का किनारा ढूँढ़ ही लूँगी मधुर मुस्कान बन हर लब पर सज जाऊँगी बहाए लाखों आँसू अब मोती बरसाऊँगी जिस नैया पर तू हो चला सवार, उसकी माझी हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
मर-मर के जीने पर मुश्किल से आया जीने का सलीका अब अब एक श्वास आत्मविश्वास की है काफ़ी फिर से खोया हौसला जगाने में जागरूक हुआ जहाँ, आज फिर जागी हूँ मैं सारी ज़ंजीरों को तोड़, उड़ान लम्बी भरने निकली हूँ मैं जिसकी सूखी धरती को भी है इंतज़ार, वही सावन हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
है आकाश से ऊँची मेरी उड़ान टूटे पँखों से ही नाप लिया सारा आसमान अनंत गगन में सूरज की पहली किरण में छोड़ आई अपने क़दमों के निशाँ नभ में जितने तारे नहीं उतनी आज इन आँखों में चमक है जीने की एक नई ललक है जिसे करना चाहे मुट्ठी में क़ैद तू, वो ब्रह्मांड हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
मेरी खुली उड़ान से अब तो डरता है ये डर भी जा मान लिया सब पर हक़ है तेरा घर बार तेरा ये संसार तेरा पर मेरे इन शब्दों के पिटारे पर कैसे तू करेगा क़ब्ज़ा मोतियों से निकलेंगे पर तूफ़ानों से दहकेंगे शीत लहरों से उठेंगे पर अंगारों से बरसेंगे मुझे क्या बदलेगा तू मैं ख़ुद एक बदलाव हूँ नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
कटी डोरी छूटा मांझा तो समझा औक़ात ख़ुद की एक अरसा लगा ये समझने में कैसे ये सीख खोऊँ बड़ी जद्दोजहद के बाद मिली हूँ ख़ुद से कैसे ये नाता तोड़ूँ जिस पहचान की तुझे तलाश है, वही मुक़ाम हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
मैं बीता हुआ कल नहीं, आज हूँ नया अंदाज़ हूँ आवाज़ हूँ आग़ाज़ हूँ चंद शब्दों में ना हो बयान, वो अल्फ़ाज़ हूँ मुद्दतों से सोई नहीं, वो साज़ हूँ जिसके बिना रूह भी तरसे, वो प्यास हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
कैसी ये चहक है हर तरफ फूलों सी महक है पूरा ब्रह्मांड देखेगा ये नज़ारा फिर हर आँगन में खिलखिलाऊँगी धरती से जुड़ी हूँ धरती में ही मिल जाऊँगी नया अवतार लिए कल फिर उभर आऊँगी जिसे कोई रोक ना सके, वो आने वाला कल हूँ मैं नारी हूँ नारी मैं किस्मत की मारी नहीं।
Founder of 'Soch aur Saaj' | An awarded Poet | A featured Podcaster | Author of 'Be Wild
रंजनी हूँ! मैं, अब सिर्फ मैं हूँ
मैं ऐसी ही हूँ…
शून्य हूँ मैं, सिफ़र हूँ मैं
अब तू ही बतला दे ना माँ, क्या इतनी बुरी हूँ मैं माँ?
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!