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न्याय के लिए न नेता खड़े हों और न नियम कड़े हों, तो वोट देने क्यों मैं जाऊँ? न समय पर न्याय न कठोर दंड, तो न्यायालय पर विश्वास कहाँ से जगाऊँ?
जनाब ये ज़िन्दगी है आपको पूरा नहीं होने देगी! जी हाँ, शायद इसी में जीवन जीने की खूबसूरती भी है क्यूंकि जो पूरा हो गया वो आगे कैसे बढ़ेगा?
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